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विपक्षी पार्टियों की दूसरी महाबैठक आज से बेंगलुरु में, नीतीश कुमार को दी जा सकती है बड़ी जिम्मेदारी

मंगलवार को मुख्य बैठक से पहले सोमवार शाम को अनौपचारिक बैठक होगी

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक बार फिर विपक्षी दल आज बेंगलुरु में एक मंच पर होंगे। 17 और 18 जुलाई को होने वाली इस बैठक को कांग्रेस ने बुलाया है। इस बैठक में कई प्रमुख मुद्दों को उठाया जा सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभी प्रमुख और छोटे विपक्षी दलों को बेंगलुरु की बैठक में भाग लेने और भाजपा के खिलाफ एकजुट मोर्चा दिखाने के लिए आमंत्रित किया है। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में 24 दल शामिल हो सकते हैं। बता दें कि इससे पहले 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक हुई थी जिसमें 15 पार्टियां शामिल हुई थीं।

इन मुद्दों पर चर्चा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में उन सामान्य मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है, जिन्हें हासिल किया जा सकता है। 

. पार्टियों को भविष्य में क्या करने की आवश्यकता है?

. वर्तमान राजनीतिक स्थिति का आकलन करना।

. आकलन के बाद आगामी संसद सत्र के लिए रणनीति बनाएं।

ये सभी लोग हो सकते हैं शामिल

इस बार बैठक में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के भी शामिल होने की संभावना है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी, राकांपा सुप्रीमो शरद पवार, टीएमसी प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री व जद(यू) नेता नीतीश कुमार, द्रमुक नेता तथा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता तथा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और आम आदमी पार्टी के नेता एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठक में शामिल हो सकते हैं।

समस्याओं पर रोडमैप होगा तैयार

मंगलवार को मुख्य बैठक से पहले सोमवार शाम को अनौपचारिक बैठक होगी। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टियां उन साझा कार्यक्रमों पर गौर करेंगी, जिन पर काम किया जा सकता है। जैसे- आम मुद्दे जिन्हें उजागर किया जाना चाहिए और आने वाले समय के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा।

व‍िपक्ष को मजबूत करने की होगी कवायद

सूत्रों ने कहा कि विपक्षी नेता भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकता को मजबूत करने के कदमों की घोषणा करेंगे। विपक्षी सरकारों को गिराने और राज्यपालों के माध्यम से गैर-भाजपा शासित राज्यों पर नियंत्रण करने के भाजपा के प्रयासों को उजागर करेंगे।

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