History

आज के ही दिन नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर रखा था पहला कदम

20 जुलाई 1969 को पहली बार किसी इंसान ने चांद पर अपने अपने पैर रखे थे

आज ही के पहली बार किसी मनुष्य ने चांद के सतह पर अपना पहला कदम रखा था।वह 20 जुलाई का ही दिन था जब नील आर्मस्ट्रान्ग के रूप में कोई इंसान पहली बार चांद की सतह पर पहुंचा था। विश्व के इतिहास में आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमेशा से सैटेलाइट ने चांद के सतह पर अपने पैर जमाये थे लेकिन 20 जुलाई 1969 को पहली बार किसी इंसान ने चांद पर अपने अपने पैर रखे थे।

20 जुलाई 1969 को चांद के सतह पर पहुंचा था इंसान

विश्व के इतिहास के पन्नों में 20 जुलाई की तारीख एक ऐसी घटना के साथ दर्ज है, जिसने चांद को कवियों की कल्पनाओं मात्र और रूमानियत के नफीस एहसास से निकालकर हकीकत की पथरीली जमीन पर उतार दिया था। दरअसल वह आज का ही ऐतिहासिक दिन था जब नील आर्मस्ट्रान्ग के रूप में किसी मानव ने पहली बार चंद्रमा की सतह पर कदम रखा।

पूरे भारत में चंद्रयान-2 को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारियों के बीच इस अभियान के 50 बरस पूरे होने का जश्न मनाया जा रहा है।सन 1969 में 16 जुलाई को अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत में स्थित जॉन एफ कैनेडी अंतरिक्ष केन्द्र से उड़ा नासा का अंतरिक्ष यान अपोलो 11 चार दिन का सफर पूरा करने बाद 20 जुलाई 1969 को इंसान को धरती के प्राकृतिक उपग्रह चांद पर लेकर पहुंचा था। नासा का यह अंतरिक्ष यान 21 घंटे 31 मिनट तक चंद्रमा की सतह पर रहा।

नेवी ऑफिसर थे नील आर्मस्ट्रांग 

नील अल्डेन आर्मस्ट्रॉन्ग एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और चाँद पर जाने वाले पहले इंसान थे। नील आर्मस्ट्रांग एक एरोस्पेस इंजीनयर, नौसेना विमान चालक, टेस्ट पायलट और एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। अंतरिक्ष यात्री बनने से पहले नील आर्मस्ट्रॉन्ग यूनाइटेड स्टेट के नेवी ऑफिसर थे जो कोरियाई युद्ध में सेवारत थे। इस युद्ध के बाद पुरदुरे यूनिवर्सिटी से उन्होंने बैचलर की उपाधि प्राप्त की और हाई स्पीड फ्लाइट स्टेशन नेशनल एडवाइजरी कमिटी फॉर एरोनॉटिक्स (NACA) में टेस्ट पायलट के पद पर वहाँ सेवा दी । NACA में उन्होंने तकरीबन 900 फ्लाइट टेस्ट की उसके बाद उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथर्न कैलिफ़ोर्निया से ग्रेजुएशन पूरा किया।

नील आर्मस्ट्रांग यूनाइटेड स्टेट एयर फ़ोर्स मैन (Man) स्पेस सूनेस्ट और X-20 Dyne-Soar ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम के सदस्य रहे थे। 1962 में आर्मस्ट्रॉन्ग नासा के एस्ट्रोनॉट कॉर्प्स में शामिल हुए थे उसके बाद 8 मार्च 1966 को नासा में कमांड पायलट के रूप में उन्होंने अपनी पहली स्पेस फ्लाइट उड़ाई थी। उस समय वे नासा के पहले अंतरिक्ष यात्री बने थे। पहली बार उन्होंने पायलट डेविड स्कॉट के साथ उड़ान भरी थी। लेकिन किसी कारण से उनकी यह उड़ान बाद में रद्द कर दी गई थी।उसके बाद नील आर्मस्ट्रांग की दूसरी और अंतिम स्पेसफ्लाइट कमांडर के रूप में अपोलो 11 थी, जो जुलाई 1969 को चाँद पर उतरी थी।

आर्मस्ट्रांग को किया गया था सम्मानित

उनके साथ दो और लोग उस स्पेसफ्लाइट में मौजूद थे जिसमें से आर्मस्ट्रांग और चन्द्रमा मोड्यूल पायलट बज्ज एल्ड्रिन चन्द्रमा की सतह पर अवतरित हुए थे और उन्होंने पुरे 2.30 घंटे स्पेस क्राफ्ट के बाहर बिताये थे, जबकि तीसरे साथी माइकल कॉलिंस चन्द्रमा ऑर्बिट में ही सर्विस मोड्यूल में थे। आर्मस्ट्रांग को उनके दोनों सहयोगी कॉलिंस और एल्ड्रिन के साथ प्रेसिडेंट रिचर्ड निक्सन ने प्रेसिडेंशल मेडल ऑफ़ फ्रीडम अवार्ड से सम्मानित भी किया था।

उसके बाद 1978 में प्रेसिडेंट जिमी कार्टर ने नील आर्मस्ट्रांग को कांग्रेशनल स्पेस मेडल ऑफ़ हॉनर से सम्मानित भी किया था। लेकिन आर्मस्ट्रांग और उनके पुराने सहकर्मियों को 2009 में कांग्रेशनल गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था। नील आर्मस्ट्रांग ने कोरोनरी बाईपास सर्जरी करवाने के बाद 82 साल की उम्र में 25 अगस्त 2012 को अंतिम सांस ली थी।

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