सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर तक बढ़ाया ED निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल
ED निदेशक को अब और नहीं मिलेगा सेवा विस्तार : सुप्रीम कोर्ट
कई दिनों से ED निदेशक पद के लिए चली आया रही खींचतान में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुना दिया है.सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ईडी के निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल बढ़ाने के सरकार के फैसले को कल मंजूरी दे दी हैे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा की ED के निदेशक संजय मिश्रा आगामी 15-16 सितंबर की मध्य रात्रि तक अपने पद पर बने रहेंगे. हालांकि माननीय न्यायालय ने यह भी निर्देशित किया है की इसके बाद संजय मिश्रा को किसी भी तरह का कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा. बता दें की इस मामले पर गुरुवार को 3 जजों की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई की जिसमे जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की पीठ भी शामिल थी .
आगामी 15-16 सितंबर 2023 की मध्यरात्रि को ईडी निदेशक पद से संजय मिश्रा स्वतः हट जाएंगे.
इस मामले पर सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में हम किसी भी अर्जी पर सुनवाई नहीं करते हैं. लेकिन ये एक बड़ा सार्वजनिक मुद्दा था इसके हित को ध्यान में रखते हुए हम संजय मिश्रा को 15 सितंबर 2023 तक ईडी निदेशक के रूप में जारी रखने की अनुमति देने के इच्छुक हैं. उसके बाद माननीय न्यायालय ने कहा की “हम स्पष्ट करते हैं कि किसी अन्य अर्जी पर सुनवाई नहीं होगी. आगामी 15-16 सितंबर 2023 की मध्यरात्रि को ईडी निदेशक पद से संजय मिश्रा स्वतः हट जाएंगे. “
मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई ने पूछा कि क्या ED जैसे इतने बड़े संस्थान में क्या संजय मिश्रा ही एक अधिकारी हैं जो इतने बड़े मुद्दे को संभाल सकते हैं? अदालत ने सरकार के वकील से पूछा की क्या सरकार ये मानती है कि बाकी अधिकारी योग्य ही नहीं हैं ? संजय मिश्रा मामले पर अपनी बात रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा की, सुप्रीम कोर्ट में भी एक के बाद एक चीफ जस्टिस आते हैं.
संजय मिश्रा के हट जाने से देश की छवि पर लग सकता है बट्टा : SG तुषार मेहता
सरकार के तरफ से पक्ष रखने वाले SG तुषार मेहता ने कहा कि आपके प्रश्न बिलकुल सही हैं लेकिन यहां स्थिति थोड़ी अलग है. लेकिन FAFT (फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स) से जुड़े मामलो पर संजय मिश्रा की विशेषज्ञता है. उनके अभी हट जाने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के प्रयासों को धक्का लगेगा. हमारा देश वैश्विक स्तर पर आर्थिक सुधार की दिशा में सफलता पूर्वक आगे बढ़ रहा है. उनके पद से हटने से हमारे देश की छवि पर बट्टा लग सकता है. तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा की ग्रे सूची में पहले से ही हमारे कई पड़ोसी भी हैं. सरकार सिर्फ 15 अक्तूबर तक संजय मिश्रा के सेवा विस्तार को मंजूरी देने का आग्रह करती है.
संजय मिश्रा ममाले में सरकार से सवाल करते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि लगता है आपका डिपार्टमेंट (ED)अयोग्य लोगों से भरा हुआ है! क्या कोई भी एक योग्य अधिकारी नहीं है जो उनके बाद मामले को संभाल सके . क्या एक अधिकारी के जाने से इतना फर्क पड़ जायेगा. फटकार लगाते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि कल मैं सुप्रीम कोर्ट नहीं आऊंगा तो क्या सुप्रीम कोर्ट कोर्ट बंद हो जाएगा. सूचियों में भारत की स्थिति क्या है? SG तुषार मेहता ने कहा कि हमारा देश FATF की सिफारिशों पर अमल करने वाले देशों में से एक है.
संजय मिश्रा को एडवाइजर नियुक्त कर ले सरकार : प्रशांत भूषण
वही दूसरी और याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मौजूदा सरकार ने सब कुछ एक ही अधिकारी के कंधे पर डाल दिया है. जबकि भारत के किसी भी संस्थान में सक्षम अधिकारियों की कोई कमी नहीं है. मंत्रालयों को सब जानकारी रहती है.लेकिन यहां तो FATF के नाम पर सरकार के तरफ से मनमानी हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार ने दलिल दिया है की FATF (फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स) की टीम आने वाली है जिसकी वजह से संजय मिश्रा को हटाना बहुत ही असाधारण परिस्थिति है.FATF से ही अंतर्राष्ट्रीय ऋण प्राप्त करने में देश की पात्रता तय होगी. और इन्ही सब चीजों में में नाकाम रहने से पाकिस्तान जैसे पडोसी ऐसे देश ग्रे लिस्ट में हैं. इस मामले पर प्रतिक्रिया दते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्र के हित मे हमने पिछली बार भी अपने आदेश को तत्काल प्रभाव से प्रभावित नहीं किया था. वहीं इस मामले पर अपनी बात रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि अगर संजय मिश्रा केंद्र सरकार के लिए इतना ही जरूरी हैं तो सरकार उनको एडवाइजर के रुप में नियुक्त कर सकती है. उनको सेवा विस्तार देने की जरूरत क्या है?
सारे पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है की ED के निदेशक संजय मिश्रा आगामी 15-16 सितंबर की मध्य रात्रि तक अपने पद पर बने रहेंगे