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संसद की सदस्यता बहाल होने के बावजूद अपने पुराने सरकारी बंगले में नहीं शिफ्ट होंगे राहुल गांधी, जानिए वजह

राहुल ने इसी साल 26 फरवरी को कांग्रेस के 85वें अधिवेशन में बताया था कि मेरे पास कोई घर नहीं है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल होने के एक दिन बाद ही उनका पुराना सरकारी बंगला उन्हें वापस आवंटित कर दिया गया। वहीं, अब खबर आ रही है कि खुद राहुल गांधी 12 तुगलक लेन वाले इस बंगले में शिफ्ट नहीं होना चाहते हैं।

 बुधवार 23 अगस्त को बंगले में वापसी का जवाब देने की डेडलाइन खत्म हो चुकी है। बंगले में वापसी के लिए 15 दिन के अंदर राहुल को लोकसभा कमेटी को जवाब देना था। जिसके लिए उन्होंने औपचारिक रूप से इंकार कर दिया है।

इस बंगले में राहुल गांधी 19 साल रहे थे। मोदी सरनेम केस में 2 साल की सजा मिलने के बाद 22 अप्रैल को उन्हें ये बंगला खाली करना पड़ा था।

मां सोनिया के बंगले में शिफ्ट हो गए थे राहुल
राहुल ने इसी साल 26 फरवरी को कांग्रेस के 85वें अधिवेशन में बताया था कि मेरे पास कोई घर नहीं है। राहुल 12, तुगलक लेन वाले सरकारी बंगले को खाली करने के बाद 10 जनपथ स्थित अपनी मां सोनिया गांधी के आवास में शिफ्ट हो गए थे।

दूसरे ऑप्शन तलाश रहे हैं राहुल
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक वे इन दिनों घर के लिए कुछ और ऑप्शन भी खोज रहे हैं। राहुल 16 अगस्त को बहन प्रियंका के साथ 7 सफदरजंग लेन देखने गए थे। यह बंगला पहले महाराजा रणजीत सिंह का था।

घर छोड़ते वक्त राहुल ने कहा था कि उन्हें सच बोलने की सजा दी गई है। वो घर उन्हें भारत के लोगों ने दिया था, बावजूद इसके वे उस घर में वापस नहीं जाना चाहते जो उनसे छीन लिया गया था।

क्या है पूरा मामला
लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान एक चुनावी रैली में राहुल ने मोदी सरनेम को लेकर एक विवादित टिप्पणी कर दी थी, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी के नेता पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस किया था। 2023 में सूरत की एक कोर्ट ने राहुल को इस मामले में दोषी माना था। बाद में गुजरात हाईकोर्ट की तरफ से भी दोषसिद्धि को बरकरार रखा गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी थी।

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