कल जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों से हूए मुठभेड़ में शहीद हुए कर्नल मनप्रीत सिंह सेना के जवानों के लिए बहादुरी की मिसाल थे। कर्नल मनप्रीत मूल रूप से मोहाली के रहने वाले थे। कर्नल मनप्रीत सिंह को महज दो वर्ष पूर्व ही सेना पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
कर्नल मनप्रीत सबसे ज्यादा उस वक्त चर्चा में आये थे जब पहली बार उन्होंने 2016 में आतंकवादी बुरहान वानी को अपनी बहादुरी से ढेर कर दिया था। उसके बाद 2021 में अंधाधुंध गोलीबारी करने वाले आतंकवादियों को तत्कालीन लेफ्टिनेंट कर्नल मनप्रीत सिंह के नेतृत्व वाली उनकी बटालियन ने मार गिराया था।
कर्नल मनप्रीत के परिजनों ने बताया कि कर्नल मनप्रीत सिंह ने कई बार अपने अदम्य साहस और बहादुरी का परिचय देते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे। जिसके लिए उन्हें भारतीय सेना के द्वारा सेना मेडल से अलंकृत किया गया था। कर्नल मनप्रीत सिंह की मां मनजीत कौर ने बताया कि मनप्रीत बचपन से ही पढ़ने में होशियार थे। उनकी प्रारम्भिक पढ़ाई मुल्लांपर स्थित एयरफोर्स स्टेशन के पास बने केंद्रीय विद्यालय से हुई थी।.
मनप्रीत सिंह 2003 में बने थे लेफ्टिनेंट कर्नल
मनप्रीत सिंह साल 2003 में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बने थे। उसके बाद वर्ष 2005 में उन्हें कर्नल के पद पर पदोन्नत कर दिया गया। कर्नल बनने के बाद उन्होंने देश के दुश्मनों को मार गिराने के लिए सेना द्वारा चलाए गए कई अभियानों का नेतृत्व किया।
कर्नल मनप्रीत सिंह के छोटे भाई संदीप सिंह ने बताया कि कर्नल मनप्रीत सिंह विगत 2019 से 2021 तक सेना में सेकंड इन कमांड के तौर पर तैनात थे। उसके बाद उन्होंने कमांडिंग अफसर के पर अपनी जिम्मेदारी निभाई।
मोरनी में शिक्षिका हैं कर्नल मनप्रीत की पत्नी
बहादुर कर्नल मनप्रीत सिंह की पत्नी जगमीत कौर मोरनी में एक शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं। वह अपने सात साल के बेटे कबीर और ढाई साल की बेटी वाणी के साथ पंचकूला के सेक्टर-26 में रहती हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कर्नल मनप्रीत का ससुराल भी पंचकूला में ही है। हालांकी, परिजनों ने अभी कर्नल मनप्रीत की पत्नी जगमीत कौर को उनके पति के शहीद होने की खबर नहीं दी है। उन्हें सिर्फ इतना बताया गया है कि कर्नल मनप्रीत सिर्फ घायल हुए हैं। वहीं, अपने भाई की मौत की खबर सुनकर कर्नल की बहन संदीप कौर भी अपने मायके के लिए रवाना हो गईं हैं।
by ; Brajesh Kumar