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लता मंगेशकर को उनकी जयंती पर पिएम मोदी ने किया याद, जानिए लता मंगेशकर से जुड़ी कुछ अनकही बातें

भारत की महान गायिका लता मंगेशकर सुरों की मल्लिका हैं। लता मंगेशकर अपनी आवाज के लिए हर जगह जानी जाती है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी लता जी का नाम दर्ज है। इन्होंने सबसे अधिक गाने गाकर एक रिकॉर्ड बनाया है। लता मंगेशकर ने 20 भाषाओं में 30 हजार से अधिक गाने गाए हैं।

 

पीएम ने लता मंगेशकर को उनकी जयंती पर याद किया, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लता मंगेशकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक्स पर थ्रेड पोस्ट करके लिखा की  “लता दीदी को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूँ। भारतीय संगीत में उनका योगदान दशकों तक फैला है, जिसने एक चिरस्थायी प्रभाव पैदा किया है। उनकी भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने गहरी भावनाएं पैदा कीं और हमारी संस्कृति में उनका हमेशा एक विशेष स्थान रहेगा।”

भारत की महान गायिका लता मंगेशकर सुरों की मल्लिका हैं। लता मंगेशकर अपनी आवाज के लिए हर जगह जानी जाती है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी लता जी का नाम दर्ज है। इन्होंने सबसे अधिक गाने गाकर एक रिकॉर्ड बनाया है। लता मंगेशकर ने 20 भाषाओं में 30 हजार से अधिक गाने गाए हैं।

 

अमेरिका के एक वैज्ञानिक ने कहा कि लता मंगेशकर की तरह की आवाज किसी गायक ने कभी नहीं सुनी है और भविष्य में भी नहीं सुनी जाएगी। लता जी को उनके मधुर आवाज के लिए शुरों की देवी कहा जाता है, और सभी गायक, चाहे वे नए हों या पुराने, उनके सम्मान में सिर झुकाते हैं।

 

कैसा रहा लता मंगेशकर का बचपन

 

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर था जो कि एक कुशल एवं योग्य रंगमंचीय गायक थे। दीनानाथ जी ने अपनी बेटी लता जी को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे 5 वर्ष की थी। उनके साथ – साथ उनकी बहनें आशा, ऊषा और मीना भी संगीत सीखा करतीं थीं।

 

लता जी ने ‘अमान अली ख़ान साहिब’ और बाद में ‘अमानत ख़ान’ के साथ भी पढ़ाई की है। लता जी को शुरू से ही से संगीत में काफी रूची था और वह भगवान के द्वारा नवाजे गए संगीत का उन्होंने हमेंशा ही कद्र किया था, क्योंकी संगीत करियर समाप्त होने के बाद भी लता जी सुबह शाम रियाज करती थी। जानकारों का कहना है की, सुरूवाती दौर में भी उन्हें जो कुछ भी सिखाया जाता था वह जल्द ही सिख जाती थी। इन्हीं सब विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द ही एक अलग  और बेमिशाल पहचान मिल गई थी। हालांकी लता जी को सबसे पहले पाँच वर्ष की छोटी सी आयु में एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला था।कहते हैं की लता जी के करियर की शुरुआत अवश्य अभिनय से हुई थी लेकिन लता जी की रूची तो हमेशा संगीत में ही थी।

 

जब 1942 में उनके पिता का निधन हो गया, लता मंगेशकर तब महज 13 वर्ष की थीं। लता मंगेशकर को उनके पिता की मृत्यु के बाद नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और उनके पिता के दोस्त मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने संभाला, जिसने उन्हें एक कुशल गायिका और अभिनेत्री बनने में मदद की।

 

गायकी में करियर

 

हम सब जानते हैं की सफलता की राह कभी भी आसान नहीं होती। लता जी को भी संगीत की दुनिया में अपनी जगह बनाने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, भले ही उनकी आवाज बहुत अच्छी होती थी। आपको बता दें कि इनकी कमजोर आवाज़ के कारण पहले कई संगीतकारों ने इन्हें काम देने से मना कर दिया था। लता जी को उस समय की प्रसिद्ध पार्श्व गायिका नूरजहाँ से तुलना की जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे अपनी प्रतिभा और लगन के बल पर उनको काम मिलने लगा। फिर लता जी की अद्भुत कामयाबी ने लता जी को फ़िल्मी जगत की सबसे मज़बूत महिला गायिका बना दिया था।

 

लता मंगेशकर जी को पुरे भारतीय फिल्म जगत में सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव प्राप्त है। फ़िल्मी गीतों के अतिरिक्त उन्होने ग़ैरफ़िल्मी गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं,  लता जी की आवाज से  ही यह झलकता है कि वो संगीत को कितना पूजती थी। उनकी प्रतिभा को सबसे पहले मुकाम मिली सन् 1947 में, जब फ़िल्म “आपकी सेवा में” उन्हें एक गीत गाने का मौक़ा मिला। इसके बाद तो लता जी को हर संगीतकार अपने संगीत के लिए कास्ट करना चहते थे, यही से ही उन्हे अपने करियर की पहली कामयाबी मिल गई, और उसके बाद एक के बाद एक बॉलीवुड के अलावा कई तरह के गीत गाने का मौक़ा मिला।

 

भारत को आजादी मिलने के बाद लता जी ने “ऐ मेरे वतन के लोगों” गीत गाया था जिसे सुनकर आज भी लोगों के आंखों में आंसु भर आते हैं। लता जी ने अपने साथ- साथ अपने बहनों का भी संगीत के क्षेत्र में करियर को दुनिया में सवारा है।

 

लता जी को मिले पुरस्कार 

लता मंगेशकर ने कई प्रतिष्ठित नागरिक सम्मानों और संगीत पुरस्कारों को प्राप्त किया है। इसमें लता जी को मिले प्रमुख पुरस्कारों और अलंकरणों की सूची है।

1969 में पद्म भूषण पुरस्कार,

1989 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार

राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार 1996

1999 में पद्म विभूषण और

2001 में भारत रत्न से सम्मानित

 

क्यों अविवाहित रही लता मंगेशकर

जिनकी आवाज की सारी दुनिया कायल है उस लता मंगेशकर ने ताउम्र शादी नहीं की। उन्होंने शादी क्यों नहीं की, इस बारे में स्वयं लता जी ने अपने कई साक्षात्कारों में कहा है कि उनके पिता के गुजर जाने के बाद सबसे बड़ी बेटी होने के कारण घर-परिवार चलाने की जिम्मेदारी उनके कंधो पर आ गई।लता जी कहती हैं की  उनके छोटे भाई-बहनों के बारे में सोचने में वो इतनी व्यस्त रहीं कि खुद की शादी के बारे में फैसला करने का उनको समय ही नहीं मिला।

  Brajesh Kumar

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