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शिवसेना विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र स्पीकर को सख्त चेतावनी दी: अयोग्यता याचिकाओं पर जल्द फैसला करें

सुप्रीम कोर्ट ने सुनील प्रभु (उद्धव ठाकरे गुट के सदस्य) की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि स्पीकर को कम से कम अगले लोकसभा चुनाव से पहले इस मामले पर निर्णय लेना चाहिए और इसे निरर्थक नहीं बनाना चाहिए। इसमे ज्यादा देरी हो रही है।

दल-बदल विरोधी कानून के तहत एक-दूसरे के खिलाफ शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुटों द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं की सुनवाई के लिए शुक्रवार (13 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर की आलोचना की। सुप्रीम कोर्ट ने सुनील प्रभु (उद्धव ठाकरे गुट के सदस्य) की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि स्पीकर को कम से कम अगले लोकसभा चुनाव से पहले इस मामले पर निर्णय लेना चाहिए और इसे निरर्थक नहीं बनाना चाहिए। इसमे ज्यादा देरी हो रही है।

इस मामले मे हुइ पिछली सुनवाई की तारीख (18 सितंबर) को कोर्ट ने अयोग्यता याचिकाओं को जुलाई 2022 से लंबित रखने पर स्पीकर पर असंतोष व्यक्त किया और उनसे सुनवाई के लिए कार्यक्रम तय करने को कहा था। उद्धव गुट की ओर से सीनियर वकील कपिल सिब्बल और एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि स्पीकर ने अब एक साल के लिए सुनवाई का शेड्यूल बनाया है। यह कहते हुए कि स्पीकर ने क्रॉस एक्जामिनेशन और साक्ष्य दर्ज करने के लिए विस्तृत समयसीमा निर्धारित की है, सिब्बल ने आश्चर्य जताया कि क्या यह प्रक्रिया दीवानी मुकदमा है। उन्होंने कहा कि दसवीं अनुसूची के तहत कार्यवाही संक्षेप प्रकृति की मानी जाती है।

Brajesh Kumar 

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