Wrestler विनेश फोगाट ने PM Modi के नाम चिट्ठी लिखकर कहा है, वह अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड वापस करती है
विनेश फोगाट ने अपने पुरस्कारों को लौटाने के पीछे की कहानी सुनाते हुए यह कहा कि महिला पहलवानों ने पिछले कुछ सालों में कितनी मुश्किलताओं का सामना किया है, उसे समझना जरूरी है।
महिला पहलवान विनेश फोगाट ने हाल ही में भारतीय कुश्ती महासंघ के अर्जुन अवार्ड और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड लौटाने की घोषणा की है। इस साहसिक कदम से वह सिर्फ अपने पुरस्कारों को नहीं, बल्कि खिलाड़ी और महिला पहलवानों की इस मुश्किल दौर में संघर्ष को भी दर्शाना चाहती हैं।
उन्होंने एक आपत्तिजनक समय में पदक वापस करने का फैसला लिया है, जोकि उनकी भावनाओं की गहरी आवाज है। उन्होंने अपनी चिंताओं को एक पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाया है, जिसमें उन्होंने अपनी आपत्ति और समस्याओं को साझा किया है।
रेसलर विनेश फोगाट ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम चिट्ठी लिखकर कहा है कि वह अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड वापस कर रही हैं रेसलर बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) और विनेश फोगाट के पदक लौटाने के बाद महिला पहलवान विनेश फोगाट तीसरी महिला पहलवान है जिन्होने यह फ़ैसला लेकर बड़ा ऐलान किया है, उन्होंने कहा है कि वह अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड वापस करने जा रही हैं
विनेश फोगाट ने अपने पुरस्कारों को लौटाने के पीछे की कहानी सुनाते हुए यह कहा कि महिला पहलवानों ने पिछले कुछ सालों में कितनी मुश्किलताओं का सामना किया है, उसे समझना जरूरी है। उन्होंने खुलकर साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया की भी तारीफ की, जोकि पुरस्कार वापसी का निर्णय लेने के बाद उनके समर्थन में आए थे।
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उन्होंने न केवल खिलाड़ियों की मान्यता की मांग की, बल्कि महिला पहलवानों को सम्मान और समर्थन का माध्यम बनाने के लिए सरकारी नीतियों में भी बदलाव की अपील की। उन्होंने महिला पहलवानों के साथ हो रहे अन्याय और दुर्व्यवहार को भी उजागर किया।
फोगाट ने स्पष्ट किया कि पुरस्कारों का मूल्य मात्र उनके लिए मान्यता और सम्मान से अधिक है, जिसे उन्होंने जीते हैं और जो देश की शान है। उन्होंने अपने फैसले में समाज की दिशा और महिला पहलवानों के हक को देखते हुए एक सच्ची पहल को जीवंत किया है। विनेश फोगाट के इस कदम से दिख रहा है कि उन्होंने केवल खिलाड़ी की भूमिका से ऊपर उठकर एक सामाजिक संदेश देने का प्रयास किया है। उनकी यह बहादुरी और सहानुभूति देश के साथी खिलाड़ियों के दिलों को छू गई है।
विनेश फोगाट का यह फैसला न केवल खिलाड़ियों को प्रेरित कर रहा है, बल्कि समाज में महिलाओं के हक की भी बात कर रहा है। उन्होंने उन सभी खिलाड़ियों की भावनाओं को जताया है जो समाज में बदलाव चाहते हैं, जो समानता और न्याय की मांग कर रहे हैं। विनेश फोगाट की इस बहादुरी को सराहनीय माना जाना चाहिए, जो खिलाड़ी की भूमिका से ऊपर उठकर एक समाजिक संदेश देने का प्रयास कर रही है। उन्होंने न केवल अपने पुरस्कारों को, बल्कि महिला पहलवानों की आवाज को भी महत्व दिया है।
विनेश फोगाट के इस कदम से समाज में समानता और न्याय की मांग को मिलेगा। उनकी इस बड़ी उपलब्धि के पीछे उनकी साहसिकता और दृढ़ निश्चय है। उन्होंने खुद को वह सच्ची आवाज़ दी है, जो समाज में बदलाव लाने के लिए जरूरी है। विनेश फोगाट ने अपने पुरस्कारों को वापस करके समाज में एक नई राह दिखाई है, जो सिर्फ खिलाड़ियों की मान्यता से ऊपर है, बल्कि समाज में न्याय और समानता की मांग कर रही है। उनकी यह अद्भुत पहल हर कोई समझना चाहेगा कि एक खिलाड़ी की सच्ची महत्ता क्या होती है।
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