ना INDIA, ना NDA बसपा अकेले ही लोकसभा का चुनाव लड़ेगी मायावती ने स्पष्ट किया कि, वह गठबंधन में शामिल नहीं होंगी।
उन्होंने गरीबों, अल्पसंख्यकों, मुस्लिमों, और किसानों के लिए किए गए कार्यों पर जोर दिया और कहा कि उनकी सरकार ने यूपी में चार बार की सत्ता कायम करने के दौरान सभी वर्गों के हित में काम किया
मायावती, जो अपने जन्मदिन के मौके पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साकार रूप से मीडिया को संबोधित किया, मायावती ने बड़ी उत्साह से अपने कार्यकाल की बातें साझा कीं। उन्होंने गरीबों, अल्पसंख्यकों, मुस्लिमों, और किसानों के लिए किए गए कार्यों पर जोर दिया और कहा कि उनकी सरकार ने यूपी में चार बार की सत्ता कायम करने के दौरान सभी वर्गों के हित में काम किया।
उन्होंने कहा की वह जब भी सत्ता में आयी है उन्होंने जनता के हित को सर्वोपरि रखा है। इसी के साथ मायावती ने आगे कहा, “हमने यूपी में अपने कार्यकाल में सभी वर्गों के हित के लिए काम किया, जिसमे शामिल है अल्पसंख्यक, गरीब, मुस्लिम, किसान और अन्य मेहनतकश लोग जिनके लिए बसपा द्वारा जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई थीं।
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सरकारें नाम और स्वरूप बदल कर अपना बनाने का प्रयास कर रही हैं लेकिन जातिवादी होने के कारण यह काम नहीं हो पा रहा है। उन्होंने सीधे तौर पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधा और बताया कि उनकी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), अगले लोकसभा चुनाव में अकेले ही उतरेगी। उनका दावा है कि गठबंधन करने से पार्टी को फायदा कम, नुकसान ज्यादा होता है, और उनकी पार्टी अकेले लोकसभा चुनाव लड़कर बेहतर नतीजे लाएगी।
मायावती ने स्पष्ट शब्दों में कहा की “हम इसलिए चुनाव अकेले लड़ते हैं क्योंकि इसका सर्वोच्च नेतृत्व एक दलित के हाथ है,” उन्होंने गठबंधन के कमजोरियों को बताया और यकीन दिलाया कि बसपा ने किसी को फ्री में समर्थन नहीं देने का निर्णय लिया है, लेकिन चुनाव के बाद गठबंधन के बारे में विचार किया जा सकता है।
मायावती ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा और कहा, “वर्तमान सरकारें नाम बदल कर अपना बनाने का प्रयास कर रही हैं लेकिन जातिवादी होने के कारण यह काम नहीं हो पा रहा है। जहा सरकार को रोजगार के साधन मुहैया कराने चाहिए उसकी बजाए वह फ्री में थोड़ा सा राशन देकर जनता को बहका रही हैं।”
इसके साथ ही, उन्होंने आपत्ति जताई कि उनकी सरकार के दौरान उन्होंने सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में रोजगार के साधन देने का प्रयास किया और अपने विधायकों से विशेषज्ञता से काम करने को कहा। अपनी चुनौतीपूर्ण बातचीत में, मायावती ने स्पष्ट कर दिया कि वह गठबंधन में शामिल नहीं होंगी, और उनकी पार्टी आगे भी अकेले ही चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी पार्टी के विचार को बनाए रखने की महत्वपूर्णता पर जोर दिया, जिससे कि उनका वोटबैंक बनाए रहे।
इस बयान से स्पष्ट होता है कि मायावती ने अपने जन्मदिन पर एक बड़ा राजनीतिक ऐलान किया है और उनका लक्ष्य है अपनी पार्टी को सुशक्त बनाए रखना, चाहे कुछ भी हो।
by – Neelam Singh
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