प्रोफेसर Ritu Singh के समर्थन में नॉर्थ कैंपस में विरोध प्रदर्शन के दौरान भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर आज़ाद और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों को हिरासत में लिया गया
आज़ाद सहित लगभग 80 लोगों को हिरासत में लिया गया और उन्हें बुराड़ी पुलिस स्टेशन ले जाया गया। परंतु इसके कुछ घंटों के बाद, उन्हें रिहा कर दिया गया, जिसने विवाद को और भी गहरा बना दिया।
दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को पूर्व सहायक प्रोफेसर रितु सिंह के समर्थन में नॉर्थ कैंपस में विरोध प्रदर्शन के दौरान भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर आज़ाद और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह को हिरासत में ले लिया। सिंह की सेवाएं दौलत राम कॉलेज ने 2020 में समाप्त कर दी थीं, परंतु उनका समर्थन और मुद्दा अब भी गरमा गरम हैं।
दौलत राम कॉलेज प्रशासन के खिलाफ उठाए गए आरोपों में कथित जाति-आधारित भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप शामिल है। यह मुद्दा कोर्ट में सुलझाने की कोशिश हो रही है, लेकिन इसका असर उच्च शिक्षा से लेकर समाज के विभिन्न वर्गों तक फैल रहा है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “आजाद अपने समर्थकों के साथ नॉर्थ कैंपस में विरोध प्रदर्शन करने आए थे, परंतु प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया क्योंकि उन्हें प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं थी।”इस स्थिति ने स्थानीय लोगों के बीच उच्च न्यायिक और सामाजिक चर्चाओं को भी उत्तेजित किया है।
आज़ाद सहित लगभग 80 लोगों को हिरासत में लिया गया और उन्हें बुराड़ी पुलिस स्टेशन ले जाया गया। परंतु इसके कुछ घंटों के बाद, उन्हें रिहा कर दिया गया, जिसने विवाद को और भी गहरा बना दिया।
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दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की सदस्य माया जॉन ने इस मामले पर रोष जताया और कहा, “विश्वविद्यालय परिसर और बाहर लोकतांत्रिक स्थान तेजी से सिकुड़ रहा है और जो की काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने इस मामले को निंदनीय बताया और कहा कि अधिकारियों द्वारा विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाना लोकतांत्रिक दृष्टिकोण से खतरनाक है।
माया जॉन ने आगे कहा, “आज जो हुआ वह वास्तव में निंदनीय है… जिस तरह से अधिकारी विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगा रहे हैं, प्रतिरोध के लिए कोई लोकतांत्रिक जगह नहीं छोड़ रहे हैं।” यह देश के लिए काफी शर्मशार करने वाली बात है की एक लोकतान्त्रिक देश के नागरिक होने पर भी हम अपनी आवाज को नहीं उठा पा रहे हमारी आवाज को दबाया जा रहा है जो की सही नहीं है इसके साथ ही उन्होंने सभी लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट होने के लिए कहा, ताकि वे प्रशासनिक अधिनायकवाद, दमन और जवाबदेही के खिलाफ सामूहिक रूप से आवाज उठा सकें।
इस घटना के बाद से दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं के बीच उच्चतम स्तर पर चर्चाएं हो रही हैं और इस मुद्दे पर विचार-विमर्श तेजी से बढ़ रहा है। इससे सामाजिक जागरूकता और लोकतंत्र की रक्षा में सामाजिक सक्रियता बढ़ रही है, जिससे यह साबित हो रहा है कि नागरिकों की भागीदारी और आवाज़ बनी रहना हमारे समाज के लिए महत्वपूर्ण है।
By Neelam Singh.
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