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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के शुभारंभ के लिए तीन दिनों के बजाए ग्यारह दिनों तक कड़े व्रत और नियमों का पालन किया

नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के शुभारंभ के लिए तीन दिनों के बजाए ग्यारह दिनों तक कड़े व्रत और नियमों का पालन करते हुए देशवासियों को एक नए संकल्प से साक्षात्कार कराया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के शुभारंभ के लिए तीन दिनों के बजाए ग्यारह दिनों तक कड़े व्रत और नियमों का पालन करते हुए देशवासियों को एक नए संकल्प से साक्षात्कार कराया। इस मौके पर, उन्होंने विदेशी यात्राओं पर जाने से परहेज किया, सोशल मीडिया पर भी उनकी तपस्या पर चर्चा हो रही है।

 

 

 

इसके साथ  ही, सियासी गलियारों में भी उनके निर्णय के संदेश को गहराई से समझा जा रहा है। गोविंद देव गिरी, श्री राम जन्मभूमि के तीर्थ न्यास क्षेत्र के कोषाध्यक्ष ने बताया कि मोदी जी ने शुभारंभ से पहले नियमों को समझने के लिए उनसे पूछा था। उन्होंने तीन दिनों का व्रत  कहा था, लेकिन मोदी जी ने ग्यारह दिनों तक उन नियमों का पालन किया। इस तपस्या को सियासी दृष्टिकोण से भी आंका जा रहा है, क्योंकि देश में राम मंदिर के शुभारंभ का माहौल है और मोदी जी ने इसे एक नए स्तर पर ले जाने के लिए ग्यारह दिनों तक कड़ाई से नियमों का पालन किया।

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सियासी जानकारों के अनुसार, मोदी जी ने “तीन की जगह ग्यारह दिन” के नियमों का कड़ाई से पालन करने का सियासी आंकलन किया जा रहा है। प्रोफेसर रामऔतार कर्मा कहते हैं कि राम मंदिर के शुभारंभ के माहौल में यह नजर आ रहा है कि मोदी जी ने ग्यारह दिनों का तीव्र संकल्प लिया है और उसे पूरा किया है। इससे न केवल उनकी पार्टी को फायदा हो रहा है, बल्कि उनके समर्थकों में भी आस्था का एक नया दर्जा स्थापित हो रहा है।

 

 

प्रोफेसर कर्मा का कहना है कि गोविंद देव गिरी ने प्रधानमंत्री से तीन दिनों का पालन करने का कहा था, लेकिन मोदी जी ने ग्यारह दिनों तक इसे कड़ाई से पालन किया। इस प्रकार की कड़ी संकल्प साधना का सियासी फायदा उनकी पार्टी को होता है। इस संदर्भ में राजनीतिक विश्लेषक ओपी तंवर कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर के बारे में आस्था से बात कर सकती है, लेकिन इसका सियासी फायदा उसको हो रहा है।

 

राम मंदिर के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पॉजिटिव पहलू को सामने लाने से लोगों में एक नई ऊर्जा भी आई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के समाज शास्त्र के एडिशनल प्रोफेसर हिमांशु त्यागी कहते हैं कि जब कोई महत्वपूर्ण घटना में प्रमुख व्यक्ति अपने सकारात्मक पहलू को सामने लाता है, तो इससे हर तरह के फायदे होते हैं। मोदी जी के राम मंदिर शुभारंभ के लिए किए गए संकल्प का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है, जो लोगों के बीच में आस्था का एक नया स्रोत बन रहा है।

 

राजनीतिक विश्लेषक ओपी तंवर कहते हैं कि इस तरह का पॉजिटिव नैरेटिव लोगों में बदलाव लाने के साथ-साथ, ग्रामीण क्षेत्रों में इससे सियासी फायदा उठाने की संभावना भी है। उनके अनुसार, जहां भारतीय जनता पार्टी सरकार हैं, वहां इस प्रकार के सकारात्मक नैरेटिव का लाभ हो सकता है। राम मंदिर के शुभारंभ से जुड़े इस संकल्प के बारे में लोगों की जागरूकता और उनमें उत्साह बढ़ाने का कारण बन सकता है, जिससे व्यापक रूप से समर्थन मिल सकता है।

 

By Neelam Singh.

 

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