अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर क्या कह रहा है, विदेशी मीडिया
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार, 'द डॉन,' ने एक ऑपिनियन लेख प्रकाशित किया है जिसमें लेखक परवेज हुदभोय ने कहा है कि इस घड़ी में हिंदुत्व एक संदेश भेज रहा है जो दो वर्गों को निशाना बना रहा है।
आज अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है, जिसके साथ देशभर में उत्सव का माहौल है। इस महत्वपूर्ण घड़ी के साथ-साथ, भारत के बाहर भी इस घटना की चर्चा हो रही है, खासकर पाकिस्तान और कतर जैसे देशों में। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की रूपरेखा में सोमवार को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अद्वितीय अनुष्ठान हो गाया हैं।, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए। यह कार्यक्रम दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर बारह बजकर 5 मिनट तक चला, जिसे लोग दीवाली की तरह मना रहे हैं।
अयोध्या में हो रहे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का आभास पूरे देश में है, और लोग इसे एक अद्वितीय सांस्कृतिक मोमेंट के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। इस घड़ी में पाकिस्तान की मीडिया भी ध्यान दे रही है और उनके अखबारों में यह दिखा रहा है कि “बाबरी मस्जिद को गिराकर बनाए गए राम मंदिर में आज पीएम रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करने जा रहे हैं।”
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार, ‘द डॉन,’ ने एक ऑपिनियन लेख प्रकाशित किया है जिसमें लेखक परवेज हुदभोय ने कहा है कि इस घड़ी में हिंदुत्व एक संदेश भेज रहा है जो दो वर्गों को निशाना बना रहा है। पहला वर्ग है भारत के मुसलमान, और दूसरा वर्ग है भारतीय राजनीति में विपक्षी दल, जो इसे एक धार्मिक मुद्दा बना रहा है। लेख में व्यक्त किया गया है कि नए भारत में धार्मिक साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने का संकेत है और यह विवाद के स्थान पर एक विशाल हिंदू नगरी का निर्माण कर रहा है, जो वेटिकन सिटी की तरह होने के लिए तैयार है।
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पाकिस्तानी अखबार ने आगे कहा है कि हिंदुत्व के द्वारा मदरसे और पुरानी लाइब्रेरी को जलाने के बारे में चर्चा करते हुए बात कही, ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने वाली भीड़ ने मार्च 2023 में एक सदी पुराने मदरसे और लाइबरेरी को जला दिया था। इसके साथ ही, लेखक ने याद दिलाया कि ऐतिहासिक घटनाओं में हिंदुत्ववादियों के साथियों ने इस तरह की हरकतें की हैं। लेख में आगे कहा गया है कि इस घड़ी में हिंदुत्व ने नए भारत में धार्मिक साम्प्रदायिकता को मजबूती से माना जा रहा है और इससे विपक्षी दलों को भी सावधान रहना चाहिए, अगर वे धार्मिक पिच पर नहीं आना चाहते हैं।
पाकिस्तान के अखबार ‘पाकिस्तान टुडे’ ने लिखा है कि आज का मंदिर का उद्घाटन पीएम मोदी के चुनावी अभियान की शुरुआत के रूप में भी देखा जा रहा है, जो भारत में मई में होने वाले आम चुनावों के लिए हैं। अखबार के द्वारा कहा गया की राम मंदिर को पूर्ण रूप से अगले लोकसभा चुनाव के मुद्दे के मुद्दे के रूप में ही देखा जायगा, लेख में इस घड़ी के राजनीतिक महत्व को बताते हुए कहा गया है कि अयोध्या में मंदिर स्थल विवाद ने बहुसंख्यक हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच एक सदी से भी अधिक समय तक रहा है। साल 1992 में हुए बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद से ही यह मुद्दा हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच एक दीवार बना रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद, जिसमें जमीन हिंदुओं को सौंपी गई थी, आज भी यह विवाद एक समाप्ति की ओर बढ़ रहा है और राम मंदिर का निर्माण जोरदार धमाके के साथ शुरू हो रहा है। पाकिस्तानी अखबार ने इसे “हिंदू समूह द्वारा जागृति का संकेत” कहा है, जो सामरिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण घटना है।
कतर स्थित टीवी नेटवर्क अलजजीरा ने एक ऑपिनियन लेख में व्यक्त किया है कि “भारत की धर्मनिरपेक्षता भगवा राजनीति के पहाड़ तले दब गई है।” वहां के लेखक ने इसे एक पैम्फलेट के रूप में चित्रित करते हुए कहा है कि भारत धर्मनिरपेक्षता के अपने सिद्धांतों से दूर हो चुका है और अयोध्या में इसकी मृत्यु हो गई है। नेपाल के प्रमुख अखबार ‘द काठमांडू पोस्ट’ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि मंदिर के उद्घाटन में व्यक्ति लाइमलाइट बटोर रहे हैं, अखबार द्वारा अपने लेख द्वारा यह भी बात कही गयी की भारत धर्मनिरपेक्षता के अपने सिद्धांत से काफी दूर चला गया है जिसकी झलक अयोध्या में आज देखने को मिल रही है।
By Neelam Singh.
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