राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ को मुख्य सड़कों से गुजरने की अनुमति देने से असम कि हिमंत सरमा सरकार ने किया इनकार।
इसके पीछे उनका तर्क था कि राहुल गांधी की यात्रा की वजह से ट्रैफिक जाम हो सकता है, जो वर्किंग डे के कारण दुर्गम था। इस पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और बैरिकेड तोड़ दी।
राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ को लेकर असम में हुई तीखी नोकझोंक के बाद, हिमंत सरमा सरकार ने राहुल गांधी की यात्रा को मुख्य सड़कों से गुजरने की अनुमति देने से इनकार कर दिया । इसके पीछे उनका तर्क था कि राहुल गांधी की यात्रा की वजह से ट्रैफिक जाम हो सकता है, जो वर्किंग डे के कारण दुर्गम था। इस पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और बैरिकेड तोड़ दी।
इस घटना के परिणामस्वरूप, हिमंत सरमा ने सोशल मीडिया पर राहुल गांधी को चेतावनी देते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, विशेषज्ञों का कहना है कि राहुल गांधी की यात्रा से जुड़े विवाद ने राजनीतिक माहौल को और भी तनावपूर्ण बना दिया है। यात्रा के दौरान, राहुल गांधी ने मेघालय का चरण पूरा करने के बाद असम में पुनः प्रवेश की कोशिश की, लेकिन सरकार ने इसे मुख्य सड़कों से गुजरने की अनुमति नहीं दी। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि यह कदम भारत जोड़ो न्याय यात्रा में बाधा पैदा करने का हिस्सा है।
हिमंत सरमा ने राहुल गांधी से अपील की कि वह लोगों के बीच इस धारणा को बढ़ावा न दें कि राम मंदिर और बताद्रवा सत्र के बीच कोई प्रतिस्पर्धा है। इसके बावजूद, उन्होंने राहुल गांधी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले उस स्थान का दौरा न करने की चेतावनी दी है। इस विवाद से जुड़े एक और पहलुओं में, हिमंत सरमा ने राहुल गांधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए राज्य पुलिस को निर्देश दिए हैं। इस परिणामस्वरूप, कांग्रेस के नेताओं ने प्रदर्शन किया और बैरिकेड तोड़ी। साथ ही, श्रीनिवास बी.वी. ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसे साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
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इसी बीच, कांग्रेस के नेता गौरव गोगोई और बताद्रवा विधायक सिबामोनी ने बोरा मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि वह शंकरदेव की फिलॉसफी में विश्वास रखते हैं और इसलिए उन्होंने सोचा कि जब वह असम आएंगे, तो शंकरदेव को सम्मानित करेंगे। इस दौरान राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा, ”हम, उनकी तरह, लोगों को एक साथ लाने और नफरत फैलाने में विश्वास नहीं करते। शंकरदेव हमारे लिए एक गुरु की तरह हैं और हमें दिशा देते हैं, इसलिए मैंने सोचा था कि जब मैं असम आया, तो उन्हें सम्मान देना चाहिए।”
इसी संबंध में, राहुल गांधी ने कहा, ”मैं राहुल गांधी से अपील करता हूं कि लोगों में इस धारणा को बढ़ावा न दें कि राम मंदिर और बताद्रवा सत्र के बीच कोई प्रतिस्पर्धा है, क्योंकि टीवी चैनल एक तरफ राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह दिखा रहे होंगे तो दूसरी तरफ महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान का दौरा चल रहा होगा। ये असम के लिए अच्छा नहीं है।”
इस प्रकार, राहुल गांधी की यात्रा से जुड़े विवाद ने असम में राजनीतिक तनाव को और भी बढ़ा दिया है। यह घटना सिर्फ एक यात्रा के रूप में नहीं, बल्कि दो प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच तीखी नोकझोंक के रूप में भी देखी जा रही है।
By Neelam Singh.
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