Gyanvyapi Case: हिंदू पक्ष की बड़ी जीत, कोर्ट ने हिंदू पक्ष को व्यास जी के तहखाने में दिया पूजा करने का अधिकार
ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा यह पूजा सात दिनों के भीतर शुरू होगी और सभी को पूजा करने का अधिकार होगा।
ज्ञानवापी केस में बुधवार को हिंदू पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष को व्यास जी के तहखाने में पूजा करने का अधिकार दे दिया है। ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा यह पूजा सात दिनों के भीतर शुरू होगी और सभी को पूजा करने का अधिकार होगा।
ज्ञानवापी स्थित व्यास जी ने तहखाना को जिलाधिकारी को सौंपने व उसमें पूजा-पाठ का अधिकारी देने की मांग को लेकर पं. सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक की ओर से दाखिल मुकदमे में जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने मंगलवार को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
पहली बार 1991 में वाराणसी कोर्ट में यह मुकदमा दाखिल हुआ था, जहां याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई थी, इसके पीछे हिंदू पक्ष का मानना था कि ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर है और यहां विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थानीय है। केंद्र सरकार ने सितंबर 1991 में पूजा स्थल को कानूनी बना दिया, जिसमें कहा गया कि 15 अगस्त 1947 से पहले के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के स्थल में नहीं बदला जा सकता। 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया।
जिसके बाद 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि स्टे ऑर्डर की वैधता छह महीने तक ही होगी। उसके बाद ऑर्डर प्रभावी नहीं रहेगा। इस आदेश के उपरांत 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई। और 2021 में वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दे दी।
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आदेश के मुताबिक एक कमीशन नियुक्त किया गया जिसके बाद आदेशनुसार कमीशन को 6 और 7 मई को दोनों पक्षों की मौजूदगी में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी के आदेश दिए गए थे। 10 मई तक शीर्ष अदालत ने इसे लेकर पूरी जानकारी मांगी थी। लेकिन छह मई को पहले दिन का ही सर्वे हो पाया था, और सात मई को मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया। और मामला कोर्ट पहुंचा।
12 मई को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने कमिश्नर को बदलने की मांग खारिज कर दी और 17 मई तक सर्वे का काम पूरा करवाकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि जिस-जिस जगह ताले लगे हैं, वहां पर लगे सभी ताले तुड़वाये जाये । अगर इसमें कोई बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई की जायगी, लेकिन सर्वे का काम हर हालत में पूरा होना चाहिए।
14 मई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। मुस्लिम पक्ष द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई थी। जिसपर कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने से इनकार करते हुए कहा कि हम बिना कागजात देखे आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। अब मामले की सुनवाई 17 मई को होगी।
14 मई के बाद से ही ही ज्ञानवापी के सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ। सभी बंद कमरों से लेकर कुएं तक की जांच हुई। इस पूरे प्रक्रिया की वीडियो और फोटोग्राफी की गयी। 16 मई को सर्वे का काम पूरा हुआ। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि कुएं से बाबा मिल गए हैं। इसके अलावा हिंदू स्थल होने के कई साक्ष्य मिले। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने दावा किया की सर्वे के दौरान कुछ नहीं मिला। जिसके जवाब में हिंदू पक्ष ने इसके वैज्ञानिक सर्वे की मांग की। मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया।
21 जुलाई 2023 को जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की मांग को मंजूरी दे दी और ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दे दिया। 24 जनवरी 2024 को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया।जिसके बाद जिला जज ने वादी पक्ष को सर्वें रिपोर्ट दिए जाने का आदेश दिया।
25 जनवरी 2024 को रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर मिला , इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई। जिसके बाद आज 31 जनवरी 2024 को जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी, इस फैसले को हिन्दू पक्ष के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।
By Neelam Singh.
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