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स्वामी प्रसाद मौर्य पर भड़के सपा MLA मनोज पांडेय, कहा उनका मानसिक संतुलन ठीक नहीं, वह विक्षिप्त हो चुके हैं

समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक और मुख्य सचेतक मनोज पांडेय की बयानबाजी ने एक बार फिर राजनीतिक दलो के बीच विवाद उत्पन्न कर दिया है । उन्होंने पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ उनकी अयोग्यता का आरोप लगाया है। इस विवाद के दौरान उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य के मानसिक संतुलन पर भी सवाल किये  है।

Hindu Mahasabha demands FIR against SP leader Swami Prasad Maurya for  remarks against Hindu deities - The Week

मनोज पांडेय ने स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयानों को लेकर उनपर हमला बोलते हुए कहा, “स्वामी प्रसाद का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। इसी वजह से वे ऐसे बयान दे रहे हैं। पार्टी ने कई बार उन्हें नसीहत दी है। स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ इस बार का विवाद  सामान्य नहीं है। हिंदू धर्म पर उनके बयानों के कारण उन्हें समाज में विवादों का केंद्र बना दिया गया है। जिसकी वजह से वह हिंदू संगठनों और समुदाय के लोगों के निशाने पर हैं।

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विवाद के मध्य में सपा के विधायक रायबरेली की ऊंचाहार सीट से चुनाव जीतकर आए मनोज पांडेय के इस बयान ने राजनीतिक धरातल पर हलचल मचा दी हैं । हालाँकि वह ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं, लेकिन उनके इस आरोप ने समाज में उन्हें चर्चा का विषय बना दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों ने समाज में विभाजन और द्वेष का माहौल पैदा किया है। हाल ही में कौशांबी में उनके विरोध में हिंदू संगठनों ने जमकर प्रदर्शन किया था, जिसमें स्वामी प्रसाद की गाड़ी पर स्याही भी फेंकी गई थी।

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स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ उनके अनिष्टकारक बयानों के बीच सपा के नेता राकेश प्रताप सिंह ने भी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, “स्वामी प्रसाद द्वारा लगातार हिंदू धर्म पर विवादित बयान दिए जा रहे हैं, ऐसे में सपा में जो कार्यकर्ता हैं, जो भगवान राम को मानते हैं, उन्हें दिक्कत तो होगी ही।” इस संघर्ष के बीच भारतीय राजनीति के दिशा-निर्देश को लेकर बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं। क्या यह विवाद धर्म, जाति और नीति के बीच एक नया संघर्ष है? क्या राजनीति में धार्मिक मुद्दे का साम्राज्य हो रहा है?

 

जहां एक ओर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों ने विवादों को गरमा  दिया है, वहीं दूसरी ओर सपा के नेता और विधायक के आरोप उनके स्वार्थों की पर्दाफाशी कर रहे  है।  इसे समाप्त करने के लिए सार्वजनिक समाधान और साहसिक कदम उठाने की जरूरत है। नहीं तो यह विवाद न केवल राजनीति के माध्यम से हमारे समाज को विभाजित करेगा, बल्कि हमारे राष्ट्रीय एकता और धरोहर को भी ध्वस्त करेगा।

 

By Neelam Singh.

 

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