कांग्रेस पार्टी को हिमाचल प्रदेश में भी देखने को मिला बड़ा झटका, उत्तर प्रदेश के बाद, अब हिमाचल प्रदेश में भी क्रॉस वोटिंग के मामले में हलचल….
राज्यसभा चुनाव में, नौ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है, जो कांग्रेस के खिलाफ हो गई है यहां तक कि कुछ सूत्र इसे 'ऑपरेशन लोटस' की आहट के तौर पर भी देख रहे हैं।
राज्यसभा चुनाव के महत्वपूर्ण चरणों में, हिमाचल प्रदेश की राजनीति में खलबली मच गयी है। उत्तर प्रदेश के बाद, अब हिमाचल प्रदेश में भी क्रॉस वोटिंग के मामले में हलचल है। कांग्रेस पार्टी को हिमाचल प्रदेश में भी एक बड़ा झटका देखने को मिला है। राज्यसभा चुनाव में, नौ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है, जो कांग्रेस के खिलाफ हो गई है। यहां तक कि कुछ सूत्र इसे ‘ऑपरेशन लोटस’ की आहट के तौर पर भी देख रहे हैं और ऑपरेशन लॉटस का नया रूप बता रहे हैं। यह चुनाव उत्तर प्रदेश से लेकर हिमाचल प्रदेश तक का खेल बन चुका है। सपा के कुछ विधायको की उत्तर प्रदेश में क्रॉस वोटिंग करने के बाद, अब हिमाचल प्रदेश में भी ऐसी संभावना बन गयी है। इस विकल्पित व्यवस्था के माध्यम से, कांग्रेस के नौ विधायकों की ओर से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार को समर्थन देने की खबर है।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के दो विभाजनों के बीच यह एक मानवीय और राजनीतिक मुद्दा है। एक धड़ा वीरभद्र सिंह के समर्थकों का है, जिसे प्रतिभा सिंह नेतृत्व करती हैं, और दूसरा धड़ा वे हैं जो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ हैं। वहीं बीजेपी ने कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी के खिलाफ हर्ष महाजन को उम्मीदवार बनाया है, जो कांग्रेस के कई विधायकों के साथ अच्छे संबंध रखते हैं। राज्यसभा के चुनाव में क्रॉस वोटिंग के चलते, सुक्खू सरकार को भी खतरा है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 68 सदस्य हैं, जिसमें कांग्रेस के 40, बीजेपी के 25 और तीन अन्य विधायकों का समर्थन है। अगर नौ विधायकों ने कांग्रेस के खिलाफ वोट किया है, तो बीजेपी का समर्थन 34 तक पहुंचेगा, जो बहुमत के लिए आवश्यक है।
इसी के साथ उत्तर प्रदेश की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस के अंदरूनी विवादों का परिणाम स्पष्ट हो रहा है। यहां, संगठन में विभाजन और आंतरिक विवादों के चलते क्रॉस वोटिंग का मामला उभरा है। राज्यसभा चुनाव के मामले में यह उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के अनेक विधायकों का बीजेपी के पक्ष में वोट करने का संदेह है। विधानसभा में विपक्षी नेता और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के दावे के अनुसार, कांग्रेस में आंतरिक द्वंद्व के कारण यह समस्या उत्पन्न हो रही है। इसके अलावा, कई विधायकों के मन्त्री नहीं बनाए जाने, विभागीय अध्यक्ष नहीं बनाए जाने के मामले में भी नाराजगी है।
अभी तक क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों की पहचान सामने नहीं आई है, लेकिन इसे लेकर गहरी चर्चाएं चल रही हैं। क्रॉस वोटिंग की खबरों के माध्यम से यह स्पष्ट होगा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के लिए आने वाले दिन और भी कठिन हो सकते हैं। वोटों के नतीजों की घोषणा के बाद ही स्पष्ट होगा कि यह खेल किसके हाथ में है।