एंटनी के बेटे के बाद अब के. करुणाकरण की बेटी हो सकती हैं बीजेपी में शामिल, केरल में एक और पूर्व सीएम के परिवार पर बीजेपी की नजर।
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत के करुणाकरण की बेटी पद्मजा वेणुगोपाल के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें आयी सामने।
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत के करुणाकरण की बेटी पद्मजा वेणुगोपाल के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें बतायी जा रही हैं। इन अटकलों को बल तब मिला जब बुधवार को कांग्रेस की वरिष्ठ नेता पद्मजा ने पाला बदलने की खबरों को खारिज करने वाली अपने एक फेसबुक पोस्ट हटा दी। दरअसल, बीजेपी में उनके संभावित कदम के बारे में खबरें आ रही थीं। और इन खबरों के जवाब में पद्मजा ने फेसबुक पोस्ट के जरिए स्पष्ट किया था कि यह महज एक मजाक था। जबकि इसमें कोई सच्चाई नहीं है हालांकि, बाद में उन्होंने इस पोस्ट को हटा दिया था।
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक केरल में बीजेपी अपना खाता खोलने के लिए सबसे ज्यादा जोर लगा रही है। जिसे देखते हुए दूसरे दलों के दिग्गज नेताओं के लिए पार्टी में दरवाजे खोलकर रखे गए हैं। कांग्रेस और लेफ्ट से नाराज नेताओं और उनके परिवारों में सेंध लगाई जा रही है। अगर पद्मजा वेणुगोपाल की बीजेपी में एंट्री होती है तो कांग्रेस को केरल में दूसरा बड़ा झटका लग सकता है। पद्मजा के पिता के. करुणाकरण चार बार केरल के सीएम रह चुके हैं। और इसके अलावा वह केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। करुणाकरण की बात की जाये तो वह एक मंझे हुए नेता थे और उनके समर्थक उन्हें ‘चाणक्य’ भी कहा करते थे। उनके बेटे मुरलीधरन कांग्रेस सांसद हैं। सूत्रों से पता चला है कि पद्मजा को बीजेपी लोकसभा चुनाव में उतार सकती है।
पिछले वर्ष अप्रैल 2023 में बीजेपी द्वारा केरल के पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी को बीजेपी में शामिल किया था। एके एंटनी केरल के दो बार के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। इतना ही नहीं, एके एंटनी कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य और सोनिया गांधी के करीबियों में माने जाते हैं। केरल में कई बार कांग्रेस की सरकार बनाने में बड़ी भूमिका रही है। ऐसे में अनिल एंटनी के कांग्रेस से एग्जिट करने से पार्टी को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी ने अनिल एंटनी को पत्तनमथिट्टा सीट से उम्मीदवार घोषित किया है। इस सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है। अब पद्मजा वेणुगोपाल के बीजेपी में शामिल होने की अटकलों से कांग्रेस के लिए टेंशन बढ़ गई है। पद्यमा, त्रिशूर सीट से 2016 और 2021 में दो बार विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं। हालांकि, जीत हासिल नहीं कर सकीं। 2004 के लोकसभा चुनाव में पद्यमा को हार मिली थी।