हिमाचल के बागी MLA का विक्रमादित्य सिंह पर निशाना बस्ती भी जलानी है, मातम भी मनाना है…..
हिमाचल प्रदेश की सियासत में ताजा उथल-पुथल के बाद, मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने एक मंच पर सामने आकर राज्य में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान गठित साजिश का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि इस साजिश में इंटेलिजेंस फेलियर का बहुत बड़ा हाथ था और उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
हिमाचल प्रदेश की सियासत में ताजा उथल-पुथल के बाद, मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने एक मंच पर सामने आकर राज्य में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान गठित साजिश का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि इस साजिश में इंटेलिजेंस फेलियर का बहुत बड़ा हाथ था और उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद, विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे हिमाचल प्रदेश की सियासत में नई उथल-पुथल आई।
विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि राज्यसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में सरकार गिराने की साजिश में इंटेलिजेंस फेलियर का बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विधायकों द्वारा किये गए क्रॉस वोटिंग का हवाला देते हुए इंटेलिजेंस की नकामी के कारण यह साजिश सफल हुई। उन्होंने साफ किया कि उन अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की जो इस घटना की संभावना में शामिल थे। हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा, जो कि इसलिए थी क्योंकि बीजेपी के पास केवल 25 विधायक थे जबकि कांग्रेस के पास बहुमत था। इस हार के बड़े चर्चे हो रहे हैं, जिसमें इंटेलिजेंस की नकामी के बादल भी घिरे हैं।
विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफे के बाद, कांग्रेस के बागी विधायक सुधीर शर्मा ने उन पर हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि जो हमारे साथ थे अब एजेंसियों पर तंज कस रहे हैं। यह बातें सामाजिक और राजनीतिक तौर पर उठाए गयी हैं, जोकि इस साजिश के पीछे छुपे रहस्य को उजागर करती हैं। इस घटना से उत्पन्न हुई उथल-पुथल के बावजूद, कांग्रेस ने कहा है कि सुक्खू सरकार को कोई खतरा नहीं है। पार्टी के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि यह घटना राज्य की सियासत में उथल-पुथल के बावजूद, कांग्रेस की अधिकतम स्थिरता को प्रमाणित करती है।
हिमाचल प्रदेश की सियासत में यह स्थिति उत्तेजक है, और लोग देश की राजनीति में इसके प्रभावों का अनुमान लगा रहे हैं। इस वक्त कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही एक-दूसरे पर निगरानी बनाए रखने के प्रयास कर रहे हैं, जिससे प्रदेश की राजनीति में नए संग्राम की संभावना बनी रहती है। सरकार और विपक्ष के बीच चल रही तनावपूर्ण संघर्ष के बीच, हिमाचल प्रदेश की जनता के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए, नेताओं को एकजुट होकर प्रदेश के विकास और कल्याण के लिए काम करने की आवश्यकता है। यह समय है कि सभी दल और नेता एक साथ आए और प्रदेश के हित में साझा काम करें, ताकि हिमाचल प्रदेश को एक मजबूत और प्रगतिशील भविष्य की दिशा में अग्रसर किया जा सके।