अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मन विदेश मंत्रालय की तरफ से की गई टिप्पणी को लेकर भारत ने जर्मन विदेश मंत्रालय की कड़ी निंदा की और टिप्पणी पर भारत ने कड़ा एतराज जताया। जिसके बाद भारत द्वारा कहा गया की हम ऐसी टिप्पणियों की कड़ी निंदा करते है क्योकि यह हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने के रूप में दिखाती है जिसके बाद जर्मनी ने अपने बयान से यू-टर्न ले लिया है
भारत और जर्मनी के बीच हाल ही में हुई घटनाओं ने दुनिया की ध्यान में आने वाले दो बड़े लोकतंत्रों के बीच उत्तेजना और विवाद का माहौल पैदा किया है। अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के मुख्यमंत्री, की गिरफ्तारी पर जर्मन विदेश मंत्रालय की टिप्पणी ने भारत सरकार को आपत्ति जताने पर मजबूर किया।भारत ने कहा कि ऐसी टिप्पणिया हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करती हैं।
जर्मन विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई पहली टिप्पणी के बाद, भारत ने जर्मन दूतावास के उप प्रमुख को तलब किया। इसके परिणामस्वरूप, जर्मनी ने अपने बयान से यू-टर्न ले लिया।जर्मन विदेश मंत्रालय ने भारत के विवादित मुद्दों में टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत एक लोकतंत्र है और उन्हें उम्मीद है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी में भी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखा जाएगा। इस विवाद के बाद, भारतीय विदेश मंत्रालय ने जर्मन दूतावास के उप प्रमुख को तलब किया और कड़ी आपत्ति जताई।
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जर्मनी विदेश मंत्रालय ने भारत के संविधान की महत्वपूर्णता को मानते हुए कहा कि भारत एक जीवंत और मजबूत लोकतंत्र है। इसके बावजूद, जर्मन विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों के बीच हुई गोपनीय बातचीत पर किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार किया।इस परिस्थिति में, दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता है। भारत और जर्मनी दोनों लोकतंत्रिक मूल्यों को साझा करते हैं और संविधानिक मानवाधिकारों का सम्मान करते हैं।
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दोनों देशों को एक दूसरे के साथ सहयोग करके विश्व की लोकतंत्रिक मूल्यों को मजबूत करने का संकल्प लेना चाहिए।भारत के तरफ से, जर्मन विदेश मंत्रालय के बयान के साथ उनकी आपत्ति और उनके संविधान के प्रति समर्थन का व्यापक समर्थन किया जाता है। भारत और जर्मनी दोनों देशों के बीच विवादों को समाधान करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें आपसी बातचीत के माध्यम से हल करने का प्रयास किया जाए।अंत में, भारत और जर्मनी के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए, दोनों देशों को आपसी समझदारी, सहयोग, और समर्थन की आवश्यकता है। इसके लिए, दोनों देशों के बीच गहरी बातचीत और समझौते के माध्यम से आगे बढ़ा जाना चाहिए।