बिहार की राजनीतिक चर्चाओं में एक नई कड़ी जुड़ चुकी है, जिसमें लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के वक्तव्य और गतिविधियों को विशेष महत्व दिया जा रहा है। इस सप्ताह, हाजीपुर में स्व. रामविलास पासवान की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया, जिसमें चिराग पासवान ने भाग लिया। उन्होंने जिले के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित कार्यक्रमों में भी भाग लिया।जफराबाद गांव में पूर्व पंचायत समिति सदस्य शिवप्रसाद राय की माता के श्राद्ध कार्यक्रम में भी चिराग पासवान शामिल हुए।
वहीं, मीनापुर में सत्येंद्र कुमार वर्मा की माता के निधन के उपरांत चौरासी भोज एवं स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय अजय बिहारी सिंह के पौत्र जयदीप कुमार के निधन के पश्चात श्रद्धांजलि सभा में भी उनकी उपस्थिति दर्शाई गई।हाजीपुर में चिराग ने मीडिया से अपनी बातें साझा की। उन्होंने चित्र पर पुष्प अर्पित कर आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। चिराग ने कहा, “चाचा पारस का आशीर्वाद लंबे समय से मुझे मिल रहा था, लेकिन अचानक उन्होंने अपना हाथ मेरे सर से क्यों हटा लिया, मुझे समझ में नहीं आ रहा।”मुझे नहीं पता क्यों मुझे घर और परिवार से निकालकर बाहर फेंक दिया, मुझे नहीं पता क्या कारण था।
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जब आप लोग उनसे बार-बार पूछते थे, क्या आप चिराग के साथ कभी समझौता हो सकता है, तो उनका बार-बार यह कहना कि सूरज पश्चिम से उग सकता है, लेकिन चिराग से मेरा कोई रिश्ता नहीं रहेगा।”चिराग ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, “परिवार और पार्टी के टूटने के बाद, जब मैं घर गया, उसके बाद दरवाजे मेरे लिए बंद कर दिए थे। डेढ़ घंटे तक दरवाजे के बाहर खड़ा था, उसके बाद दरवाजा खुलता है, सामने मेरी मंझली मां होती हैं। उनका मैं पैर छूआ तो वह दो कदम पीछे कर लेती हैं और बोली कि तुम्हारे साथ जो हो रहा है अच्छा हो रहा है।”चिराग ने अपने आत्मविश्वास को दिखाते हुए कहा, “मुझे नहीं पता यह सब क्यों हुआ। अगर मैं उनका अगर सगा बेटा होता, तो वह इसी तरीके से मुझे निकाल कर बाहर फेंक देते। अब इन सब चीजों से मैं बहुत आगे निकल चुका हूं, मेरी लड़ाई अलग है।”वह आगे बढ़ते हुए कहते हैं, “बिहार फर्स्ट की लड़ाई के साथ मैं आगे बढ़ रहा हूं। तमाम चीजों को मैं पीछे छोड़ चुका हूं। आज की तारीख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिहार कि 40 की 40 सीट जीता कर देनी है।
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देश में यह आकड़ा 400 के पार होगा।”चिराग पासवान के वक्तव्य और कड़ी मेहनत को देखते हुए, उनके समर्थन में नई सामाजिक और राजनीतिक दिशा देखने की आशा की जा रही है। उनके विचारों का समर्थन करते हुए, लोजपा ने अपनी बुनियादी प्रिंसिपल्स को फिर से सामने लाने का वादा किया है। यह तबादला बिहार की राजनीतिक दायरे में नया रंग भर सकता है।