अमेरिका की धमकियों को अनसुना करना पड़ेगा पाकिस्तान को भारी ईरान को लेकर भारत के नक़्शेक़दम पर पाक
ईरान और पाकिस्तान के बीच दोस्ती की चुनौतियों और संबंधों के नए मोड़ के साथ, अमेरिका की चिंताओं का सामना करने वाले पाकिस्तान के व्यापारिक संबंधों की खोज और विस्तार के प्रयास जारी हैं। यह उस प्रयास का हिस्सा है जिसमें पाकिस्तान अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के प्रति अपनी कटिबध्दता को प्रदर्शित कर रहा है।
ईरान और पाकिस्तान के बीच दोस्ती की चुनौतियों और संबंधों के नए मोड़ के साथ, अमेरिका की चिंताओं का सामना करने वाले पाकिस्तान के व्यापारिक संबंधों की खोज और विस्तार के प्रयास जारी हैं। यह उस प्रयास का हिस्सा है जिसमें पाकिस्तान अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के प्रति अपनी कटिबध्दता को प्रदर्शित कर रहा है। अमेरिका के धमकाने के बावजूद, पाकिस्तान ईरान के साथ समझौते कर रहा है, जिसमें उसका व्यापार और गैर-राजनीतिक संबंधों का विस्तार शामिल है। पाकिस्तान का उद्देश्य है भारत की तरह विदेश नीति में स्वतंत्रता बनाए रखना, जो कि अमेरिका के खिलाफ है।
भारत के उत्कृष्ट रूसी संबंधों के बावजूद, पाकिस्तान भी ईरान के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर कर रहा है। यही वजह है कि अब अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा मंडरा है। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के हाल ही में पाकिस्तान दौरे ने अमेरिका को परेशान किया है। इसे अमेरिका की प्रयासों को कमजोर करना माना जा रहा है। इसके बावजूद, पाकिस्तान और ईरान के बीच व्यापार बढ़ाने का संवाद जारी है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधों को चुनौती देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रयास के परिणामस्वरूप अमेरिका पाकिस्तान को प्रतिबंधों के साथ डराने के लिए तैयार हो सकता है।
ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट एक और मुख्य मुद्दा है, जिसमें दोनों देशों ने सहमति जताई है कि इसे आगे बढ़ाया जाए। लेकिन अमेरिका इसे भी चुनौती देता है, देखते हुए कि यह उसके हित में नहीं है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए, यह अमेरिका के धारावाहिक प्रतिबंधों के खिलाफ भारत की तरह अपनी विदेश नीति को स्थायी रखने का प्रयास है। लेकिन यह कठिन हो सकता है क्योंकि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी अत्यधिक चुनौतीपूर्ण है।
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भारत की विदेश नीति के साथ काम करते हुए, पाकिस्तान को ध्यान में रखना होगा कि वह ईरान और अमेरिका के बीच एक संतुलन बनाए रखे। यही उसके लिए सबसे उत्तम राह हो सकती है, जिससे वह अपने अर्थव्यवस्था को सुधार सके और विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर सके।