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नहीं लड़ेंगी प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव! राहुल गांधी पर 24 घंटे में फैसला कल

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा ही रायबरेली और अमेठी सीटें उच्च स्थान पर रही हैं। यहाँ जनता के साथियों के बीच नहीं सिर्फ राजनीतिक मुद्दों की चर्चा होती है, बल्कि इन सीटों के उम्मीदवारों का चयन भी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस बार भी इन दोनों सीटों पर सस्पेंस बरकरार है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा ही रायबरेली और अमेठी सीटें उच्च स्थान पर रही हैं। यहाँ जनता के साथियों के बीच नहीं सिर्फ राजनीतिक मुद्दों की चर्चा होती है, बल्कि इन सीटों के उम्मीदवारों का चयन भी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस बार भी इन दोनों सीटों पर सस्पेंस बरकरार है। कुछ सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी इस बार लोकसभा चुनाव में अपनी सीटों अमेठी और रायबरेली से प्रतिस्थापन नहीं करेंगी। वे केवल चुनाव प्रचार करेंगी। इससे पहले राहुल गांधी के अमेठी या रायबरेली से चुनाव लड़ने पर भी संदेह है, लेकिन कल तक उनका फैसला आ सकता है। पहले की खबरें बता रही थीं कि राहुल और प्रियंका अयोध्या जाएंगे और फिर अमेठी और रायबरेली में चुनावी उम्मीदवारी का ऐलान करेंगे।

 

 

2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को अमेठी सीट से हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें तब मोदी सरकार की मंत्री स्मृति ईरानी ने हराया था। हालांकि, वे वायनाड सीट से जीतकर संसद में पहुंचे थे। अमेठी का महत्व यह भी है कि यह कांग्रेस का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस के खो जाने से सामाजिकवादी पार्टी को फायदा हुआ था। 2022 के चुनाव में इस पार्टी को अमेठी और गौरीगंज से विधानसभा सीटें मिलीं। बीजेपी भी अमेठी में अपने विधायकों की संख्या बढ़ाने में कामयाब रही।

 

 

सोनिया गांधी ने 2019 में घोषणा की थी कि यह उनका आखिरी लोकसभा चुनाव होगा। वे 1999 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार अमेठी से चुनाव लड़ी थीं और जीत हासिल की थी। उसके बाद 2004 में वे पहली बार रायबरेली से चुनाव लड़ीं और जीतीं। सोनिया गांधी को कुल पांच बार सांसद चुना गया है। रायबरेली और अमेठी सीटें हमेशा ही कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण रही हैं। यहाँ के लोग अपनी समस्याओं को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच दूसरे मुद्दों के साथ ही अपनी सीटों के उम्मीदवारों का चयन करते हैं। इस बार का चुनाव भी इसी दिशा में हो रहा है, जहाँ चुनावी अभियान और उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया संगठित हो रही है।

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यह चुनाव उत्तर प्रदेश के राजनीतिक मंच पर भी महत्वपूर्ण है। इसके परिणाम से प्रदेश की राजनीति में कई बदलाव आ सकते हैं। यहाँ के लोग अपने उम्मीदवारों के चयन से अपनी आसानियों और मुद्दों को लेकर चिंतित हैं। इसलिए इन सीटों पर होने वाले चुनाव का परिणाम प्रदेशीय स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण होगा। अमेठी और रायबरेली की राजनीति में बदलाव का संकेत इस बार भी हो सकता है।

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