संजय निरुपम की राजनीतिक रंगमंच पर वापसी एक महत्वपूर्ण उथल-पुथल बन चुकी है। 19 साल के बाद, उन्होंने शिवसेना में फिर से कदम रखा है। इस निर्णय ने महाराष्ट्र के राजनीतिक मंच पर तहलका मचा दिया है। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने अपनी ‘अल्मा मेटर’ शिवसेना में वापसी के लिए तैयारी का ऐलान किया है। उनकी वापसी की घोषणा शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे के द्वारा की गई, जिन्होंने बताया कि संजय निरुपम जल्द ही उनकी पार्टी में शामिल होंगे।
संजय निरुपम का राजनीतिक सफर काफी रोचक और उलझनभरा रहा है। 2005 में वे कांग्रेस में शामिल हुए और महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त हुए। उन्होंने 2009 में मुंबई उत्तर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद, उन्होंने कांग्रेस में कई पदों पर काम किया और पार्टी की स्टेट यूनिट की रहनुमाई भी की।
Uddलेकिन 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद, संजय निरुपम ने कांग्रेस के साथ शिवसेना और नसीमी पार्टी के विरोध में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी का समर्थन किया। इसके परिणामस्वरूप, उनके और कांग्रेस के बीच की तनावपूर्ण संबंधों ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया।
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इससे पहले भी, संजय निरुपम का राजनीतिक सफर उलझनभरा रहा है। 2005 में उन्होंने शिवसेना को छोड़ा और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उन्होंने 2009 में कांग्रेस के टिकट पर मुंबई उत्तर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि, 2014 में उन्हें उसी निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के गोपाल शेट्टी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। संजय निरुपम का यह नया कदम राजनीतिक दायरे में एक नई चुनौती हो सकती है। उनकी शिवसेना में वापसी की खबरों के बाद, राजनीतिक गणित में नए रंग और संघर्ष की संभावना बढ़ गई है।
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इस तरह, संजय निरुपम की राजनीतिक दायरे में नई कड़ी जुड़ी है। उनकी शिवसेना में वापसी ने महाराष्ट्र की राजनीतिक स्क्रीन पर एक नया उथल-पुथल उत्पन्न किया है। अब, देखना है कि यह कदम उन्हें कितने महत्वपूर्ण राजनीतिक संघर्षों में ले जाता है।