सवाल है कि क्या झारखंड में राजनीतिक बदलाव का वक्त है? विश्वास करें या ना करें, पिछले कुछ महीनों से झारखंड के राजनीतिक मंच पर कई घटनाएं घटित हुई हैं जो सामान्य जनता की आंखों को खोलने का काम कर रही हैं। इनमें से एक है रांची में हाल ही में हुई छापेमारी, जिसमें ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के प्रत्याशित निजी सचिव संजीव लाल के घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई है। इसके साथ ही, पिछले साल दिसंबर में भी झारखंड में बड़ी संख्या में कैश बरामदगी हुई थी, जहाँ कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और कारोबारी धीरज साहू के कई ठिकानों से आईटी द्वारा 350 करोड़ से ज्यादा कैश बरामद किया था।
यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में झारखंड में चुनाव प्रचार करते समय करप्शन के मुद्दे को उठाया था। इससे स्पष्ट है कि झारखंड की राजनीति में कुछ गंभीर समस्याओं का सामना किया जा रहा है। इस घटना के पीछे का सच क्या है? क्या यह झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ है? इन प्रश्नों के जवाब तलाशते हुए, हमें इन घटनाओं के पीछे की कहानी में खुद को डुबोकर निकलना होगा।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी से नकदी बरामद किए जाने के बाद, झारखंड की राजनीति में चल रहे कई सवालों के उत्तर तलाशे जा रहे हैं। इस घटना के साथ-साथ, पिछले साल दिसंबर में हुई एक और कैश बरामदगी को भी देखते हुए, सामान्य जनता के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह सभी घटनाएं केवल एक सिरे से हैं या इसके पीछे कुछ और राज हैं। यह बात साफ है कि झारखंड के राजनीतिक मंच पर काले धन के बारे में सवाल उठ रहे हैं। इस घटना के समय, प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दौरान जो तथ्य सामने आए हैं, वे केवल झारखंड के नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए भी चिंता का विषय बन गए हैं।
कई लोगों को इस घटना का राजनीतिक रंग भी दिखाई दे रहा है। पिछले कुछ महीनों से हुई घटनाओं के बाद, कांग्रेस और भाजपा के बीच तनाव भी बढ़ा है। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा, ‘काउंटिंग होने दीजिए ये गिनती 50 करोड़ तक जाएगी। पूरी झारखंड सरकार गले तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई है।’ वहीं, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और कारोबारी धीरज साहू के ठिकानों से हुई कैश बरामदगी के मामले में भी गंभीर उलझन में है। इस पर धीरज साहू ने कहा था कि छापेमारी में जो कैश बरामद किया गया है, वो मेरी शराब की कंपनियों का है। उन्होंने यह भी कहा कि शराब का कारोबार नकदी में होता है और इसका कांग्रेस पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है।
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राजनीतिक दलों के बीच इस बड़े मुद्दे पर विवाद तेजी से बढ़ रहा है। बीजेपी के विधायकों ने कहा है कि धीरज साहू ने झारखंड के संसाधनों का दोहन किया है और गरीबों का हक मार कर एकत्रित की है। इस बड़े मुद्दे को लेकर झारखंड की राजनीति में गहराई से उतरने के लिए हमें सार्वजनिक दलों की सहयोगिता की आवश्यकता है। यह समय है कि हम सभी एक साथ मिलकर राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ें और एक सशक्त और ईमानदार झारखंड की दिशा में कदम बढ़ाएं।
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