सुरक्षित रूप से भारतीय चुनावी प्रक्रिया का आयोजन होने की तैयारी में, राजनीतिक मैदान में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के क्षेत्र में उत्तर-प्रत्याशित कन्हैया कुमार ने अपने प्रयास को गहराई से बढ़ाया है। आज, उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया है, जिसमें दिल्ली कांग्रेस के कई नेताओं के साथ-साथ आप के नेता भी शामिल रहे। इस नामांकन की प्रक्रिया के दौरान, एक बात खास ध्यान दिलाई गई कि कोई भी कार्यकर्ता उनके साथ मौजूद नहीं था।
इस प्रक्रिया के समापन के बाद, कन्हैया कुमार ने चुनावी कार्यालय से एक रैली निकाली, जिसमें उन्होंने संविधान कि प्रस्तावना की कॉपी भी साथ लिए थे। उनके साथ चलने वाले में कांग्रेस और आप के नेता भी थे। रैली में थोड़ी दूरी पर वे सभी साथ चल रहे थे। नामांकन दाखिल करने से पहले, कन्हैया ने हवन किया और सर्वधर्म प्रार्थना में भाग लिया। यह चुनाव विशेष है क्योंकि इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। यह तबादला पहले के चुनाव से अलग है, जब दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ती थीं। लेकिन इस बार, उनकी साझेदारी ने राजनीतिक समीकरण को परिवर्तित किया है।
आप नेता गोपाल राय ने इस मौके पर बात करते हुए कहा, “पिछले दो बार से मनोज तिवारी यहां से जीत रहे हैं। उस समय आम आदमी पार्टी और कांग्रस पार्टी दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ते थे, लेकिन इस बार दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। AAP-कांग्रेस के उम्मीदवार कन्हैया कुमार हैं। पार्टियों के बिखराव का फायदा उन्हें इस बार नहीं मिलेगा। 10 साल भाजपा को काम करने का मौका दिया गया लेकिन जनता परेशान है और जनता में आक्रोश है।” यह चुनाव उत्तर-पूर्वी दिल्ली के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें यहाँ की सभी 7 संसदीय सीटों पर मतदान होगा। इस बार के चुनाव में कन्हैया कुमार के उम्मीदवारी के साथ, नागरिकों को विकल्पों की विविधता मिलेगी।
इस चुनाव में एनएसयूआई और जेएनयू के छात्रों ने कन्हैया कुमार की रैली की जिम्मेदारी संभाली है, जो उनकी अधिकतम समर्थन को अनुसरण कर रहे हैं। इस संदर्भ में, उनकी रैली में कांग्रेस और आप के नेता भी शामिल हैं, जो उनके समर्थन में खड़े हैं। जनता के दिलों और विचारों को समझते हुए, उत्तर-प्रदेश के नेता गोपाल राय ने बताया कि इस बार की चुनावी प्रक्रिया नई दिशा में ले जा सकती है, जिसमें राजनीतिक दलों के साझेदारी का महत्व हो सकता है।
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उन्होंने इसे एक नया संकेत माना है, जो राजनीतिक गतिविधियों को परिवर्तित कर सकता है। इस चुनाव में कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी ने राजनीतिक समीकरण को बदल दिया है, और नागरिकों को नए विकल्पों का आवास प्रदान किया है। अब सवाल यह है कि चुनाव दिन उत्तर-पूर्वी दिल्ली के नागरिक किस दिशा में मुख्यतः मतदान करेंगे।