बिभव कुमार को दिल्ली पुलिस द्वारा CM House से गिरफ्तार किया गया स्वाति मालीवाल बदसलूकी केस में चल रहे थे फरार
आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ बदसलूकी मामले में दिल्ली पुलिस ने मुख्य आरोपी बिभव कुमार को हिरासत में ले लिया है। वह एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही फरार चल रहे थे।
आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ बदसलूकी मामले में दिल्ली पुलिस ने मुख्य आरोपी बिभव कुमार को हिरासत में ले लिया है। वह एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही फरार चल रहे थे। बता दें, स्वाति मालीवाल ने गुरुवार देर रात एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद से ही पुलिस बिभव कुमार की तलाश में जुटी हुई थी। बिभव कुमार को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वह एफआईआर दर्ज होने के बाद से फरार थे और आखिरी बार लखनऊ में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ देखे गए थे। पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने भी बिभव की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, बिभव कुमार को सीएम आवास से गिरफ्तार किया गया है और उन्हें सिविल लाइंस थाने ले जाया गया है, जहां उनसे पूछताछ की जाएगी।
पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि बिभव कुमार मुकदमा दर्ज होने के बाद से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के अंदर ही थे या कहीं और जाकर छिप गए थे। पुलिस का यह भी कहना है कि बिभव को पकड़ने में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी और अब उनसे पूछताछ के बाद ही पूरा सच सामने आ पाएगा। वहीं, बिभव कुमार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील करण शर्मा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “हमें अभी तक पुलिस से कोई जानकारी नहीं मिली है। हमने उन्हें एक ई-मेल भेजा है कि हम जांच में सहयोग करेंगे।” करण शर्मा का यह बयान इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़ा करता है और इस बात पर भी जोर देता है कि आरोपी के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।
इसके अलावा, आप लीगल सेल के प्रदेश अध्यक्ष संजीव नासियार ने भी बिभव कुमार की गिरफ्तारी पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हमने कोर्ट में अर्जी दाखिल की है कि हमें अभी तक एफआईआर की कॉपी नहीं मिली है। आदेश शाम 4 बजे तक सुरक्षित है लेकिन अब मुझे पता चला है कि उसे बिना किसी सूचना के यहां लाया गया है। अब हम अंदर (सिविल लाइंस पीएस) जाना चाहते हैं लेकिन हमें अंदर जाने से रोका जा रहा है।” संजीव नासियार की इस प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी के अंदर भी इस गिरफ्तारी को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
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दिल्ली की मंत्री आतिशी ने इस घटना को लेकर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “विभव कुमार जी ने 24 घंटे पहले दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन दिल्ली पुलिस ने अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की है। स्वाति मालीवाल जी के मामले में पुलिस तुरंत सक्रिय हो जाती है। एफआईआर दर्ज कर लेती है और मीडिया में चलवा देती है। वहीं सीएम की सुरक्षा मामले पर पुलिस चुप है।” आतिशी का यह बयान इस बात को उजागर करता है कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं और इसे राजनीतिक रंग भी दिया जा रहा है। इस पूरे मामले को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। एक ओर जहां पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बिभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया है, वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी इस कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े कर रही है। पार्टी का कहना है कि पुलिस ने बिभव कुमार की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। वहीं, स्वाति मालीवाल के मामले में पुलिस तुरंत सक्रिय हो गई और एफआईआर दर्ज कर ली।
पुलिस की इस कार्रवाई पर सवाल उठाना स्वाभाविक है, क्योंकि यह मामला न केवल राजनीतिक है बल्कि इसमें एक महिला सांसद के साथ बदसलूकी के आरोप का भी है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई को कुछ लोग सही ठहरा रहे हैं, तो कुछ लोग इसे राजनीतिक दबाव का परिणाम मान रहे हैं। बिभव कुमार की गिरफ्तारी के बाद अब पुलिस उनसे पूछताछ कर मामले की सच्चाई का पता लगाने की कोशिश करेगी। बिभव कुमार की गिरफ्तारी के बाद अब सवाल यह भी उठता है कि वह इतने दिनों तक कहां छिपे हुए थे और पुलिस उन्हें क्यों नहीं पकड़ पाई। पुलिस की इस कार्रवाई पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर बिभव कुमार को मुख्यमंत्री के आवास से ही क्यों गिरफ्तार किया गया और क्या वह इतने दिनों तक वहीं छिपे हुए थे। इन सभी सवालों के जवाब पुलिस की जांच के बाद ही सामने आएंगे।
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इस घटना ने दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचा दी है। आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इस गिरफ्तारी को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है और इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। वहीं, विपक्षी दलों ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं और पुलिस की कार्रवाई को सही ठहराया है। इस पूरे मामले से यह साफ है कि दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर तनाव का माहौल बन गया है और आने वाले दिनों में इस पर और अधिक विवाद हो सकता है। पुलिस की जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि बिभव कुमार के खिलाफ लगे आरोप कितने सही हैं और इस मामले में कौन-कौन शामिल है। तब तक इस घटना को लेकर राजनीतिक बयानबाजियों का दौर जारी रहेगा।