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क्या है वह मिशन जिस पर पीएम मोदी चुपचाप कर रहे काम, 1300 आइलैंड, ‘सिंगापुर’ प्लान!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लक्षद्वीप में हेल्थकेयर, जल संसाधन, ऊर्जा, शिक्षा और प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में 1,150 करोड़ रुपये लागत की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य द्वीपसमूह के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान देना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लक्षद्वीप में हेल्थकेयर, जल संसाधन, ऊर्जा, शिक्षा और प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में 1,150 करोड़ रुपये लागत की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य द्वीपसमूह के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान देना है। भारत में कितने द्वीप हैं? इस सवाल के उत्तर के लिए विकल्पों में 10, 20, 50, और 1300 शामिल थे। सही जवाब है कि भारत में 1300 द्वीप हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में इन द्वीपों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इन द्वीपों में अपार संभावनाएं छिपी हुई हैं और कुछ द्वीप सिंगापुर के आकार के हैं। मोदी सरकार इन द्वीपों को विकसित करने के लिए योजनाएं बना रही है।

मोदी सरकार का फोकस समुद्र में व्यापार को सरल बनाने और मैरीटाइम लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाने पर भी है। प्रधानमंत्री ने डीप ड्राफ्ट इनर हार्बर के त्वरित निर्माण और लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से ग्रेट निकोबार में ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट के निर्माण के प्रस्ताव का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इससे बड़े जहाज लंगर डाल सकेंगे और समुद्री व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी, साथ ही रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। ग्रेट निकोबार द्वीप भारत की मुख्य भूमि से करीब 1,800 किलोमीटर दूर स्थित है और यह इंडोनेशिया के सुमात्रा के पास है। इस द्वीप में फिलहाल आठ हजार लोग रहते हैं और यह चार “आपस में जुड़ी” परियोजनाओं का संयोजन है, जो मिलकर एक नया ग्रीनफील्ड शहर बनाएंगे। ये चार परियोजनाएं पोर्ट, एयरपोर्ट, पावर प्लांट और टाउनशिप की हैं।

धानमंत्री ने डीप ड्राफ्ट इनर हार्बर के त्वरित निर्माण और लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से ग्रेट निकोबार में ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट के निर्माण के प्रस्ताव का उल्लेख भी किया

प्रधानमंत्री मोदी की सरकार द्वीपों को मुख्य भूमि और दुनिया से जोड़ने में अद्वितीय तत्परता और पैमाना दिखा रही है, जिससे 2047 तक विकसित भारत के संकल्प को मजबूत किया जा सके। उनकी सरकार ने रॉस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप और हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर स्वराज द्वीप कर दिया, ताकि इन्हें नई पहचान मिल सके। 2023 में, सरकार ने परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर 21 द्वीपों का नामकरण किया, जिससे युवाओं को प्रेरणा मिले और देशभक्ति का उत्साह बढ़े। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि उनकी कैबिनेट में एक महत्वपूर्ण परंपरा है कि जब भी कोई बिल संसद में लाया जाता है, तो उसके साथ ग्लोबल स्टैंडर्ड का एक नोट भी आता है। इससे दुनिया के बेहतरीन कानून और नियमों की जानकारी मिलती है और हमें अपनी व्यवस्था को उन मानकों तक ले जाने की दिशा मिलती है। उदाहरण के लिए, 1300 द्वीपों का सर्वेक्षण स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग करके करवाया गया। इन द्वीपों में से कुछ सिंगापुर के आकार के हैं, जिससे भारत के लिए नए सिंगापुर बनाना मुश्किल नहीं है, यदि हम प्रयास करें।

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य इंफ्रास्ट्रक्चर का सही उपयोग सुनिश्चित करना है। उन्होंने देखा कि पहले इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं कागज पर या शिलान्यास तक सीमित रह जाती थीं। उन्होंने प्रगति नामक एक नियमित प्रोजेक्ट रिव्यू सिस्टम शुरू किया और परियोजनाओं को गति दी। उनका मानना है कि स्कोप, स्केल, स्पीड और स्किल का सही समन्वय करके बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पहले कैबिनेट नोट बनने में तीन महीने लगते थे, जिसे अब 30 दिनों तक कम कर दिया गया है। रेलवे में भी आधुनिकरण की दिशा में काम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अनमैन क्रॉसिंग की समस्या को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। उन्होंने रेलवे स्टेशनों की सफाई पर भी ध्यान दिया है और लगभग 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन पर बल दिया है। उन्होंने यात्री ट्रेनों की परंपरा को भी पुनः आरंभ किया है, जिसमें रामायण सर्किट ट्रेन, जैन तीर्थ क्षेत्रों की यात्रा और द्वादश ज्योर्तिर्लिंग की यात्रा शामिल है। उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर के अधिकतम उपयोग की योजना बनाई है, जिससे देश को अधिकतम लाभ हो सके।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इंटरव्यू में बताया कि उनकी सरकार अफसरों को यह समझाने पर भी जोर दे रही है कि उनके जीवन का उद्देश्य क्या है। उन्होंने कहा कि ह्यूमन रिसोर्स के लिए सरकार टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रही है और इंफ्रास्ट्रक्चर में भी फिजिकल, सोशल और टेक्नोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दे रही है। मोदी सरकार का लक्ष्य देश में सिंगापुर जैसे शहर खड़े करने का है। इसके लिए उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर का स्कोप बहुत बड़ा होना चाहिए, टुकड़ों में नहीं। स्केल भी बड़ा होना चाहिए, स्पीड भी तेज होनी चाहिए और स्किल का भी समुचित उपयोग होना चाहिए। यही चारों चीजें मिलकर देश को विकास की ओर ले जाएंगी।

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प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि उनकी सरकार ने रेलवे में आधुनिकरण के लिए कई कदम उठाए हैं। अनमैन क्रॉसिंग को खत्म करके रेलवे स्टेशनों की सफाई पर जोर दिया गया है। लगभग 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन किया गया है और यात्री ट्रेनों की परंपरा शुरू की गई है। उन्होंने रामायण सर्किट ट्रेन, जैन तीर्थ क्षेत्रों की यात्रा और द्वादश ज्योर्तिर्लिंग यात्रा जैसी योजनाओं का भी उल्लेख किया, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर का अधिकतम उपयोग हो सके। मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई इन परियोजनाओं का उद्देश्य देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाना है। उनका मानना है कि सही योजना और सही दिशा में काम करके भारत को विश्व में एक प्रमुख स्थान पर लाया जा सकता है। उनके नेतृत्व में, भारत के द्वीपों का विकास, समुद्री व्यापार में वृद्धि और रोजगार के नए अवसरों का सृजन होने की संभावना है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और समग्र विकास को बल मिलेगा।

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