ADR की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी फटकार, सार्वजनिक हो वोटिंग डेटा.
सुप्रीम कोर्ट ने आज (24 मई) चुनाव आयोग को राहत देते हुए लोकसभा चुनाव में मतदान के पूरे आंकड़े देरी से जारी होने पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज (24 मई) चुनाव आयोग को राहत देते हुए लोकसभा चुनाव में मतदान के पूरे आंकड़े देरी से जारी होने पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए मतों के आंकड़े वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग को लेकर एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने याचिका दायर की थी। याचिका में मांग की गई थी कि मतदान के 48 घंटे के भीतर प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए मतों के आंकड़े वेबसाइट पर डाले जाएं।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एस.सी. शर्मा की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सभी मतदान केंद्रों पर दर्ज वोटों की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने से चुनावी प्रक्रिया में अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है। चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट में कहा कि फॉर्म 17C (जिसमें प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों के आंकड़े दर्ज होते हैं) को वेबसाइट पर अपलोड करना उचित नहीं होगा। उन्होंने बताया कि फॉर्म 17C को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि आरोप लगाया गया है कि फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है, जो पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आरोप चुनाव को बदनाम करने की कोशिश हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, चुनावी प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ संपन्न होती है और मतदान के आंकड़े पहले से ही उपलब्ध कराए जाते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव के 5 चरण हो चुके हैं और इस समय चुनाव आयोग पर प्रक्रिया बदलने का दबाव डालना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग पर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने का कोई आरोप साबित नहीं हुआ है। चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया कि ADR का मकसद वोटरों को भ्रमित करना है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 26 अप्रैल को भी एक याचिका खारिज की थी जिसमें ADR की मंशा पर सवाल उठाए गए थे। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास पर्याप्त सबूत नहीं हैं और चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एस.सी. शर्मा की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए बिना ही याचिका का निपटारा कर दिया। एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने याचिका में यह भी आरोप लगाया था कि मतदान के आंकड़े देरी से जारी किए जाने के कारण चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। ADR ने मांग की थी कि चुनाव आयोग को निर्देश दिए जाएं कि वह मतदान के 48 घंटे के भीतर सभी मतदान केंद्रों पर डाले गए वोटों के आंकड़े अपनी वेबसाइट पर अपलोड करे।
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चुनाव आयोग ने कोर्ट में कहा कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए मतों के आंकड़े फॉर्म 17C में दर्ज होते हैं और इन फॉर्म्स को स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखा जाता है। उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों को सार्वजनिक करने से चुनावी प्रक्रिया में अराजकता फैल सकती है और यह उचित नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ADR की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी करना सही नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया पारदर्शी है और इस पर सवाल उठाना अनुचित है।
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कोर्ट ने कहा कि ADR द्वारा दायर याचिका में पर्याप्त सबूत नहीं हैं जो चुनाव आयोग की प्रक्रिया को गलत साबित कर सकें। चुनाव आयोग पर आरोप लगाना और उसकी प्रक्रिया पर सवाल उठाना सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को राहत देते हुए कहा कि मतदान के आंकड़ों को देरी से जारी करने के संबंध में चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी नहीं किए जाएंगे।