हॉट सीट गाजीपुर से आइएनडीआइए गठबंधन के सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने 124266 वोटों से जीत दर्ज की है। भाजपा प्रत्याशी पारस नाथ राय को हार का सामना करना पड़ा। यह उनकी 11वीं चुनावी चुनौती थी, जिसमें वह सफल नहीं हो सके। अफजाल अंसारी अब तक पांच बार विधायक रह चुके हैं और तीसरी बार संसद में प्रवेश करने जा रहे हैं। इस चुनाव में प्रदेश सरकार द्वारा माफिया स्व. मुख्तार अंसारी के खिलाफ की गई ‘बुलडोजर बाबा’ की कार्रवाई जनपद के मतदाताओं को पसंद नहीं आई और न ही विकास व केंद्र सरकार की योजनाएं भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकीं। आइएनडीआइए का संविधान खतरे का मुद्दा इस जीत में काफी प्रभावी साबित हुआ। अफजाल अंसारी 40 वर्षों में लगातार दूसरी बार सांसद बनने वाले तीसरे नेता बन गए हैं। गाजीपुर संसदीय सीट पर कुल 20,74,883 मतदाताओं में से 11,51,145 (55.48 प्रतिशत) ने मतदान किया था। मतगणना मंगलवार को मंडी समिति जंगीपुर परिसर में सुबह आठ बजे से शुरू हुई और 33 राउंड में पूरी हुई। सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों में 14-14 टेबल बनाए गए थे।
24 राउंड की मतगणना के बाद सपा के अफजाल अंसारी को 4,49,141 वोट मिले, जबकि भाजपा के पारस नाथ राय को 3,41,931 वोट और बसपा के डॉ. उमेश कुमार सिंह को 1,37,305 वोट प्राप्त हुए। पहले राउंड में ही भाजपा प्रत्याशी 328 वोटों से आगे थे, लेकिन इसके बाद अफजाल अंसारी ने बढ़त बनाई और अंत तक उसे बनाए रखा। अफजाल अंसारी ने 2019 के चुनाव में भी मनोज सिन्हा को 1,19,392 वोटों से हराया था। इस बार की जीत का अंतर उस आंकड़े को भी पार कर गया है। इतनी बड़ी जीत के पीछे आइएनडीआइए का संविधान खतरे का मुद्दा अनुसूचित जाति और ओबीसी वर्ग में गहरी पैठ बना गया। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन सभाएं कीं, जिसमें उन्होंने माफिया के परिवार पर निशाना साधा। इसके बावजूद भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। बसपा प्रत्याशी को भी पार्टी के आधार वोट बैंक का भरोसा नहीं मिला, जिसके कारण उनका अधिकांश वोट सपा को मिल गया।
इस चुनाव में गाजीपुर के मतदाताओं ने स्पष्ट संदेश दिया कि विकास और केंद्र सरकार की योजनाओं से अधिक उन्हें अपने संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा की चिंता है। अफजाल अंसारी ने इसे भुनाया और एक बड़ी जीत हासिल की। इसके अलावा, बुलडोजर बाबा की कार्रवाई से नाखुश मतदाताओं ने भाजपा को नकार दिया। चुनाव प्रचार के दौरान अफजाल अंसारी ने अपने क्षेत्र के विकास और संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने अपनी चुनावी रैलियों में कहा कि वह जनता की आवाज संसद में उठाएंगे और उनके अधिकारों की रक्षा करेंगे। इसने उन्हें अनुसूचित जाति और ओबीसी वर्ग का समर्थन दिलाया, जो इस चुनाव में निर्णायक साबित हुआ।
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गाजीपुर की यह जीत सिर्फ सपा और अफजाल अंसारी के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि आइएनडीआइए गठबंधन के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है। यह जीत दर्शाती है कि अगर सही मुद्दों को उठाया जाए और जनता के साथ सही संवाद स्थापित किया जाए तो चुनावी परिणाम भी अनुकूल हो सकते हैं। भाजपा प्रत्याशी पारस नाथ राय की हार इस बात का संकेत है कि सिर्फ विकास और योजनाएं ही चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। मतदाताओं की भावनाएं और उनकी चिंता भी महत्वपूर्ण हैं। इस चुनाव ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जब जनता अपने संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए चिंतित होती है, तो वे उसे प्राथमिकता देते हैं।
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इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी डॉ. उमेश कुमार सिंह का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा। पार्टी का आधार वोट बैंक सपा के पक्ष में चला गया, जो बसपा के लिए एक बड़ा झटका है। इस परिणाम से स्पष्ट है कि बसपा को अपने रणनीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। मंडी समिति जंगीपुर परिसर में हुई मतगणना में अफजाल अंसारी की जीत ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर जनता के मुद्दों को सही तरीके से उठाया जाए तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं है। 33 राउंड की मतगणना में उन्होंने लगातार बढ़त बनाए रखी और अंततः जीत दर्ज की। अफजाल अंसारी की इस जीत से गाजीपुर की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है। उन्होंने जनता के मुद्दों को प्राथमिकता दी और उनकी उम्मीदों पर खरे उतरे।