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“हाथरस दुर्घटना: एसआईटी की जांच में कार्यक्रम आयोजक और प्रशासनिक लापरवाही उजागर, कई अधिकारी निलंबित”

हाथरस जिले के सिकंदराराऊ में दो जुलाई को हुई दुर्घटना में 121 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया। एसआईटी ने एडीजी जोन आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ के नेतृत्व में घटनास्थल का निरीक्षण किया और अपनी जांच में कार्यक्रम आयोजक, तहसील स्तरीय पुलिस और प्रशासन को दोषी पाया।

हाथरस जिले के सिकंदराराऊ में दो जुलाई को हुई दुर्घटना में 121 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया। एसआईटी ने एडीजी जोन आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ के नेतृत्व में घटनास्थल का निरीक्षण किया और अपनी जांच में कार्यक्रम आयोजक, तहसील स्तरीय पुलिस और प्रशासन को दोषी पाया। जांच के दौरान एसआईटी ने दो, तीन, और पांच जुलाई को घटनास्थल का निरीक्षण किया। कुल 125 लोगों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ आम जनता और प्रत्यक्षदर्शी भी शामिल थे। एसआईटी ने समाचार पत्रों, स्थलीय वीडियोग्राफी, छायाचित्रों, और वीडियो क्लिपिंग्स का भी अध्ययन किया।

प्रारंभिक जांच में, एसआईटी ने चश्मदीद गवाहों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर कार्यक्रम आयोजकों को मुख्य रूप से दोषी ठहराया। जांच समिति ने दुर्घटना के पीछे किसी बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत बताई है। एसआईटी ने कार्यक्रम आयोजक और तहसील स्तरीय पुलिस और प्रशासन की लापरवाही को भी जिम्मेदार माना। उप जिला मजिस्ट्रेट सिकंदराराऊ ने बिना स्थल का मुआयना किए कार्यक्रम की अनुमति प्रदान की और वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित नहीं किया।

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एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर, राज्य सरकार ने एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज कचौरा, और चौकी इंचार्ज पोरा को सस्पेंड कर दिया है। आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम की अनुमति ली और अनुमति के शर्तों का अनुपालन नहीं किया। अप्रत्याशित भीड़ को आमंत्रित कर पर्याप्त और सुचारू व्यवस्था नहीं की गई।आयोजक मंडल से जुड़े लोग अव्यवस्था फैलाने के दोषी पाए गए। उन्होंने पुलिस वेरिफिकेशन के बिना लोगों को जोड़ा, जिससे अव्यवस्था फैली। आयोजक मंडल ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया और स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण से रोका। सत्संगकर्ता और भीड़ को बिना सुरक्षा प्रबंध के आपस में मिलने की छूट दी गई। भारी भीड़ के बावजूद यहां किसी प्रकार की बैरिकेडिंग या पैसेज की व्यवस्था नहीं बनाई गई थी।

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दुर्घटना के बाद, आयोजक मंडल के सदस्य घटनास्थल से भाग गए, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। इस घटना ने प्रशासनिक और पुलिस प्रणाली की खामियों को उजागर किया। राज्य सरकार ने एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर कठोर कार्रवाई की है और दोषी अधिकारियों और आयोजकों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। इस घटना ने हाथरस जिले में सुरक्षा और व्यवस्था के मानकों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कार्यक्रम आयोजकों की लापरवाही और प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी ने इस त्रासदी को जन्म दिया। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और प्रशासनिक तंत्र में सुधार हो।

एसआईटी की जांच रिपोर्ट ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा मानकों का पालन न करने और कार्यक्रम की अनुमति देने में लापरवाही बरतने के कारण यह दुर्घटना हुई। इस मामले ने दिखाया कि कैसे स्थानीय प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की लापरवाही ने इतनी बड़ी त्रासदी को जन्म दिया। यह घटना एक चेतावनी है कि सुरक्षा और व्यवस्था को प्राथमिकता देने की जरूरत है। एसआईटी की सिफारिशों के आधार पर, राज्य सरकार ने प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। यह कदम प्रशासनिक तंत्र को सुधारने और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उठाया गया है। इस घटना से सबक लेते हुए, भविष्य में कार्यक्रमों की अनुमति देने में सतर्कता बरतने और सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता है।

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