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“डोडा मुठभेड़ में पांच जवान शहीद, ओवैसी और महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना”

जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में रविवार देर रात आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में भारतीय सेना के पांच जवान बलिदान हो गए। सेना ने मंगलवार को इन बलिदानी जवानों को श्रद्धांजलि दी।

जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में रविवार देर रात आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में भारतीय सेना के पांच जवान बलिदान हो गए। सेना ने मंगलवार को इन बलिदानी जवानों को श्रद्धांजलि दी। इस घटना के बाद, जम्मू क्षेत्र में बढ़ती आतंकी गतिविधियों पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस घटना को केंद्र सरकार की विफलता बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा, “मोदी जी आप तो कहते थे ‘घर में घुस कर मारेंगे’, फिर यह क्या है?” ओवैसी ने चेतावनी दी कि जम्मू में हालात बहुत खतरनाक होते जा रहे हैं और केंद्र सरकार आतंकवाद को नियंत्रित करने में असफल हो रही है।

सोमवार की रात 11 बजे के आसपास डोडा के देसा क्षेत्र के जंगल में सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें एक अधिकारी समेत पांच जवान बलिदान हो गए। यह मुठभेड़ पिछले 35 दिनों में डोडा क्षेत्र में चौथी मुठभेड़ थी। सोमवार को जम्मू और कठुआ जिलों में भी संदिग्ध गतिविधियां देखी गईं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पांच जवानों की जान जाने के बावजूद किसी की कोई जवाबदेही नहीं है। उन्होंने कहा, “अब तक तो सभी के सिर कट जाने चाहिए थे। डीजीपी को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए था।” महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि मौजूदा डीजीपी राजनीतिक रूप से चीजों को ठीक करने में व्यस्त हैं और लोगों तथा पत्रकारों को परेशान किया जा रहा है।

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महबूबा मुफ्ती द्वारा भी आरोप लगाया गया है कि मौजूदा डीजीपी राजनीतिक रूप से चीजों को ठीक करने में व्यस्त हैं और लोगों तथा पत्रकारों को परेशान किया जा रहा है।

जो सैनिक मुठभेड़ में शहीद हुए है उन सैनिकों की पहचान कैप्टन बृजेश थापा, नायक डी राजेश और सिपाही बिजेंद्र, सिपाही अजय के रूप में की गयी है। भारतीय सेना द्वारा अपने बलिदानी जवानों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की गयी और कहा कि सेना इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है। यह घटना कश्मीर घाटी के बाद अब जम्मू संभाग को आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाए जाने की बढ़ती घटनाओं का हिस्सा है। पिछले 32 महीनों में लगभग 50 सैनिकों ने अपनी जान गंवाई है, लेकिन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस बीच, सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखे हुए हैं, लेकिन राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है।

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