महाराष्ट्र में गठबंधनों के लिए SP बनेगी चुनौती, अखिलेश यादव के नेतृत्व में पार्टी ने तैयार किया मास्टरप्लान…
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। शनिवार को मुंबई में आयोजित एक समारोह में उत्तर प्रदेश के नवनिर्वाचित सपा सांसदों का धूमधाम से स्वागत कर और मुंबई भ्रमण करवाकर महाराष्ट्र सपा अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने यह स्पष्ट संकेत दे दिया कि सपा इस बार महाराष्ट्र के चुनावी मैदान में जोरदार उपस्थिति दर्ज कराएगी।
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। शनिवार को मुंबई में आयोजित एक समारोह में उत्तर प्रदेश के नवनिर्वाचित सपा सांसदों का धूमधाम से स्वागत कर और मुंबई भ्रमण करवाकर महाराष्ट्र सपा अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने यह स्पष्ट संकेत दे दिया कि सपा इस बार महाराष्ट्र के चुनावी मैदान में जोरदार उपस्थिति दर्ज कराएगी। आजमी ने अपने भाषण में कहा कि पिछली बार के विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस से सात सीटें मांगी थीं, लेकिन अंत में गठबंधन नहीं हो सका। इसके बावजूद, सपा ने भिवंडी और गोवंडी की दो सीटों पर अकेले चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। इस बार, आजमी ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से महाविकास आघाड़ी (मविआ) से कम से कम 12 सीटें मांगने का अनुरोध किया है, जिनमें सपा जीत दर्ज करने के लिए आश्वस्त है।
महाराष्ट्र के राजनीति में सपा की रणनीति को लेकर आजमी ने कहा, “उत्तर प्रदेश में इस बार अखिलेश यादव ने कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और सफलता हासिल की। इस कदम की प्रशंसा महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता शरद पवार ने भी की थी।” आजमी को विश्वास है कि यदि अखिलेश यादव उचित संख्या में सीटें मांगेंगे, तो मविआ इंकार नहीं करेगी। हालांकि, इसके लिए कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), और राकांपा (शरद पवार गुट) को त्याग करना पड़ेगा। दूसरी ओर, सपा के उभार से भाजपा को महायुति गठबंधन में नुकसान हो सकता है। मुंबई का उत्तर भारतीय समाज, जो कभी कांग्रेस और सपा का वोटबैंक था, 2014 से भाजपा के साथ हो गया था। भाजपा को 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2019 के विधानसभा चुनाव में इसका फायदा भी मिला। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में यह वोटबैंक दो भागों में विभाजित हो गया। अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण का बड़ा हिस्सा इस बार कांग्रेस के साथ गया, जबकि शिवसेना (यूबीटी) के साथ अल्पसंख्यक मतदाता जुड़ गया। वंचित और पिछड़े वर्ग के मतदाता ने मतदान करने के बजाय घर पर रहना बेहतर समझा।
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अगर इस बार मुंबई, ठाणे और भिवंडी की उत्तर भारतीय बहुल सीटों पर सपा के उम्मीदवार मैदान में उतरे, तो पीडीए समीकरण खुलकर सामने आ सकता है। उत्तर प्रदेश के दलित सांसदों ने शनिवार को हुए सम्मान समारोह में कहा कि वे चुनाव के दौरान मुंबई आकर सपा का प्रचार करेंगे। इस कदम से भाजपा को नुकसान हो सकता है। मुंबई, ठाणे और भिवंडी की कई सीटों पर उत्तर भारतीय मतदाता निर्णायक होते हैं। अगर सपा एक विकल्प के रूप में उभरती है, तो इन मतदाताओं का समर्थन मिल सकता है।
सपा ने पहले भी महाराष्ट्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। 1995 में सपा के तीन विधायक महाराष्ट्र विधानसभा में चुने गए थे। 1997 में मुंबई महानगरपालिका में सपा के 22 सभासद चुने गए, जिनकी मदद से सपा विधान परिषद में अपना एक सदस्य भेजने में सफल रही। 2009 में अबू आसिम आजमी ने भिवंडी और गोवंडी दोनों सीटों से चुनाव लड़ा और जीता। 2014 में वे गोवंडी से अकेले विधायक चुने गए और 2019 में वे गोवंडी से और रईस अहमद भिवंडी से विधायक बने। इस बार, सपा मुंबई और ठाणे के अलावा औरंगाबाद और मालेगांव की भी कुछ सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है। सपा के उभार से महायुति गठबंधन और विशेषकर भाजपा को चुनौती मिल सकती है, क्योंकि उत्तर भारतीय समाज का वोटबैंक, जो पहले भाजपा के साथ था, अब विभाजित हो गया है।
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सपा की सक्रियता और उम्मीदवारों की घोषणा से चुनावी माहौल में काफी बदलाव आ सकता है। सपा की रणनीति और उत्तर भारतीय मतदाताओं का समर्थन आगामी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अब देखना यह होगा कि सपा की यह तैयारी और रणनीति कितना असर दिखाती है और क्या वह महाविकास आघाड़ी के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है या अकेले मैदान में उतरती है।