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“कांवड़ यात्रा के दौरान नेम प्लेट आदेश पर विवाद, योगी सरकार की आलोचना और एनडीए में मतभेद”

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों और ढाबा मालिकों को नेम प्लेट लगाने के आदेश के बाद योगी सरकार की आलोचना हो रही है। इस मुद्दे पर एनडीए के भीतर भी विभिन्न मत हैं। जहां कुछ दलों ने इसका विरोध किया है, वहीं कुछ दलों ने इसका समर्थन किया है।

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों और ढाबा मालिकों को नेम प्लेट लगाने के आदेश के बाद योगी सरकार की आलोचना हो रही है। इस मुद्दे पर एनडीए के भीतर भी विभिन्न मत हैं। जहां कुछ दलों ने इसका विरोध किया है, वहीं कुछ दलों ने इसका समर्थन किया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा वाले मार्ग पर दुकानदारों और ढाबा मालिकों को अपनी दुकानों के आगे नेम प्लेट लगाने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद इसकी खूब आलोचना हो रही है। विपक्षी दलों ने इस फैसले को समाज को बांटने वाला बताते हुए इसका विरोध किया है। एनडीए के सहयोगी दलों में भी इसको लेकर अलग-अलग राय है। एनडीए में शामिल जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (एलजेपी (आर)) ने इस फैसले का विरोध किया है। वहीं, सहयोगी पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने इसका समर्थन किया है और कहा है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को कहा कि उन्हें उत्तर प्रदेश में ‘कांवड़ यात्रा’ मार्ग पर फल विक्रेताओं को उनके स्टॉलों पर अपना नाम लिखने के लिए कहे जाने में कुछ भी गलत नहीं दिखता है।

मांझी द्वारा इस फैसले से जुड़े विवाद को लेकर पूछे गए सवालो के उत्तर में यूपी सरकार का समर्थन किया गया । इसके बाद पार्टी प्रमुख मांझी दवारा कहा गया की “मैं अन्य दलों के लिए नहीं बोल सकता, परन्तु मुझे इस तरह के आदेश में कुछ भी गलत नहीं दिखाई नहीं दिया , यदि व्यवसायों में शामिल लोगों को अपना नाम और पता प्रमुखता से उजागर करने के लिए कहा जाता है तो इसमें नुकसान ही क्या है?”जिसके बाद उन्होंने आगे कहा, की “असल में, नेम प्लेट से खरीदारों के लिए पसंदीदा स्टॉल देखना आसान हो जाएगा। और इस मामले को धर्म के चश्मे से देखना कतई गलत है।

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जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता के सी त्यागी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ नारे का जिक्र करते हुए यूपी पुलिस के आदेश की आलोचना की थी और कहा था कि बिहार, झारखंड और कांवड़ यात्रा से जुड़े अन्य राज्यों में इसी तरह के निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। त्यागी ने कहा कि यूपी सरकार का यह कदम समाज में विभाजन पैदा कर सकता है और लोगों के बीच संदेह और अविश्वास को बढ़ा सकता है। इस फैसले के खिलाफ उठ रही आवाजों के बावजूद, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा ने अपने समर्थन को दोहराया है। मांझी का मानना है कि नेम प्लेट्स का उपयोग व्यापार में पारदर्शिता लाने और ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस आदेश को धर्म के दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए।

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विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला है। उनका कहना है कि इस तरह के आदेश से समाज में धार्मिक विभाजन बढ़ सकता है। कुछ दलों का यह भी कहना है कि इस फैसले का उद्देश्य विशेष समुदाय को निशाना बनाना है। विपक्षी नेताओं ने यूपी सरकार से इस आदेश को वापस लेने की मांग की है और इसे समाज में सामंजस्य बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया है। हालांकि, योगी सरकार ने अपने आदेश का बचाव किया है। सरकार का कहना है कि यह आदेश केवल व्यापार में पारदर्शिता लाने और ग्राहकों के अनुभव को सुधारने के लिए है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस आदेश का उद्देश्य किसी भी समुदाय को निशाना बनाना नहीं है।

इस मुद्दे पर विभिन्न दलों के अलग-अलग मत होने के बावजूद, यूपी सरकार ने अपने फैसले को लागू करने की प्रतिबद्धता जताई है। सरकार का कहना है कि नेम प्लेट्स लगाने से व्यापार में पारदर्शिता आएगी और ग्राहक आसानी से अपने पसंदीदा दुकानों और स्टॉल्स को पहचान सकेंगे।

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