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“यूपीएससी अध्यक्ष मनोज सोनी ने दिया इस्तीफा, कहा निजी कारणों से छोड़ रहे है पद।

यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) के अध्यक्ष मनोज सोनी ने निजी कारणों के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मनोज सोनी, जो एक प्रख्यात शिक्षाविद् हैं, ने 28 जून 2017 को यूपीएससी आयोग के सदस्य के रूप में पदभार संभाला था। उन्होंने 16 मई 2023 को यूपीएससी अध्यक्ष के रूप में शपथ ली थी और उनका कार्यकाल 15 मई 2029 को समाप्त होना था।

यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) के अध्यक्ष मनोज सोनी ने निजी कारणों के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मनोज सोनी, जो एक प्रख्यात शिक्षाविद् हैं, ने 28 जून 2017 को यूपीएससी आयोग के सदस्य के रूप में पदभार संभाला था। उन्होंने 16 मई 2023 को यूपीएससी अध्यक्ष के रूप में शपथ ली थी और उनका कार्यकाल 15 मई 2029 को समाप्त होना था। हाल ही में पूजा खेडकर मामले की चर्चा हो रही है, लेकिन मनोज सोनी ने स्पष्ट किया है कि उनका इस्तीफा परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के मामले से संबंधित किसी भी विवाद या आरोप से जुड़ा नहीं है। सूत्रों के अनुसार, मनोज सोनी ने काफी समय पहले ही व्यक्तिगत कारणों से अपना इस्तीफा दे दिया था, जो अब तक स्वीकार नहीं हुआ था।

यूपीएससी अध्यक्ष बनने से पहले, मनोज सोनी डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ओपन यूनिवर्सिटी (बीएओयू), गुजरात के कुलपति के रूप में दो कार्यकाल (1 अगस्त 2009 से 31 जुलाई 2015) तक पदभार संभाल चुके हैं। इसके पहले वे अप्रैल 2005 से अप्रैल 2008 तक बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय (MSU) के कुलपति के रूप में कार्यरत थे। उस समय में वे वीसी बनने वाले सबसे कम उम्र के कुलपति बने थे।

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यूपीएससी का नेतृत्व अध्यक्ष द्वारा किया जाता है, और इस पूरी टीम में अधिकतम दस सदस्य हो सकते हैं। वर्तमान समय में यूपीएससी में सात सदस्य हैं, जो इसकी स्वीकृत संख्या से तीन कम हैं। अध्यक्ष के नेतृत्व में आयोग विभिन्न परीक्षाओं का संचालन करता है और चयन प्रक्रिया की निगरानी करता है। यूपीएससी के अध्यक्ष मनोज सोनी के इस्तीफे से आयोग को एक नया नेतृत्व मिलना अनिवार्य होगा। ऐसे समय में जब आयोग महत्वपूर्ण निर्णय और सुधारों के दौर से गुजर रहा है, एक नए अध्यक्ष का चयन महत्वपूर्ण है। वर्तमान सदस्यों के साथ मिलकर नए अध्यक्ष को यूपीएससी की प्रगति और सुधार की दिशा में काम करना होगा।

मनोज सोनी का शैक्षिक क्षेत्र में व्यापक अनुभव रहा है और उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। उनकी विशेषज्ञता और अनुभव ने यूपीएससी को नई दिशा देने में मदद की है। उनका इस्तीफा आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है, लेकिन उनके द्वारा स्थापित किए गए मानक और प्रक्रियाएं आयोग को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होंगी।

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