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विपक्ष का विरोध: नीति आयोग की बैठक में कांग्रेस के चार मुख्यमंत्री नहीं होंगे शामिल ……

नई दिल्ली: 2024 के बजट से असंतुष्ट विपक्ष ने नीति आयोग की आगामी बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस के चार मुख्यमंत्री - राजस्थान के अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल, हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू और कर्नाटक के सिद्धारमैया - ने इस बैठक में भाग न लेने की घोषणा की है।

नई दिल्ली: 2024 के बजट से असंतुष्ट विपक्ष ने नीति आयोग की आगामी बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस के चार मुख्यमंत्री – राजस्थान के अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल, हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू और कर्नाटक के सिद्धारमैया – ने इस बैठक में भाग न लेने की घोषणा की है। यह बैठक राष्ट्रीय विकास की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है, लेकिन कांग्रेस का यह कदम केंद्र सरकार की नीतियों के प्रति उनके असंतोष को दर्शाता है। कांग्रेस के नेताओं ने कई मुद्दों पर केंद्र सरकार की आलोचना की है। मुख्यतः वे निम्नलिखित बिंदुओं पर अपनी असहमति व्यक्त कर रहे हैं।

1. बजट 2024 : विपक्ष का मानना है कि बजट 2024 में राज्यों के विकास के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं किए गए हैं। उनका आरोप है कि यह बजट केवल केंद्र के हितों को साधने के लिए बनाया गया है और राज्यों की आवश्यकताओं की अनदेखी की गई है।

2. नीति आयोग की भूमिका : विपक्ष का यह भी कहना है कि नीति आयोग का उद्देश्य राज्यों के साथ मिलकर विकास की योजनाएं बनाना है, लेकिन वर्तमान में इसका उपयोग राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।

3. संघीय ढांचे का उल्लंघन : कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार संघीय ढांचे का सम्मान नहीं कर रही है और राज्यों को निर्णय प्रक्रिया में उचित भागीदारी नहीं मिल रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “नीति आयोग की बैठकों में चर्चा और निर्णयों में राज्यों की भागीदारी आवश्यक है, लेकिन वर्तमान सरकार इस बात को नहीं समझ रही है। बजट 2024 में राज्यों की वित्तीय आवश्यकताओं की अनदेखी की गई है।” छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे “केंद्र की तानाशाही” करार दिया। उन्होंने कहा, “नीति आयोग की बैठक का उद्देश्य राष्ट्रीय विकास को गति देना है, लेकिन जब राज्यों को उचित प्रतिनिधित्व ही नहीं मिलेगा, तो ऐसे बैठकों का क्या फायदा?”

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कांग्रेस के इस निर्णय का समर्थन अन्य विपक्षी दलों से भी मिला है। कई राज्यों के मुख्यमंत्री और विपक्षी नेता इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त कर चुके हैं और उन्होंने कांग्रेस के कदम की सराहना की है। केंद्र सरकार ने कांग्रेस के इस निर्णय पर खेद व्यक्त किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “नीति आयोग की बैठकें देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं और इसमें सभी राज्यों की भागीदारी आवश्यक है। हम कांग्रेस के नेताओं से आग्रह करते हैं कि वे इस बैठक में शामिल हों और अपने विचार रखें।” कांग्रेस के चार मुख्यमंत्रियों का नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम है, जो केंद्र और राज्यों के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है। यह निर्णय राष्ट्रीय राजनीति में नई दिशा का संकेत हो सकता है और आने वाले समय में इसका असर राष्ट्रीय विकास योजनाओं पर भी पड़ सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर क्या बातचीत होती है और क्या कोई समाधान निकलता है।

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