अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस: बाघों के संरक्षण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम । International Tiger Day: An important step towards tiger conservation
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का मुख्य उद्देश्य बाघों के संरक्षण के महत्व को उजागर करना और उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य बाघों के संरक्षण और प्रबंधन के प्रयासों को प्रोत्साहित करना है। इस दिवस की घोषणा 29 जुलाई, 2010 को सेंट पीटर्सबर्ग में की गई थी, जिससे टाइगर रेंज वाले देशों को एक मंच पर लाया जा सके।
बाघों की वर्तमान स्थिति:
अखिल भारतीय बाघ अनुमान, 2022 की सारांश रिपोर्ट के अनुसार, भारत में न्यूनतम 3,167 बाघ हैं, जो दुनिया के 70 प्रतिशत से अधिक जंगली बाघों का निवास है। नवीनतम गणना मॉडल के अनुसार, बाघों की आबादी की ऊपरी सीमा 3,925 और औसत संख्या 3,682 बाघ है। यह 6.1 प्रतिशत की सराहनीय वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है।
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संरक्षण की दिशा में प्रारंभिक प्रयास:
भारत में 20वीं सदी के मध्य तक शिकार, पर्यावास की कमी और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण बाघों की आबादी में तेज़ी से गिरावट आई। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात यह गिरावट और भी बढ़ गई। इस निराशाजनक प्रवृत्ति से चिंतित होकर भारतीय वन्यजीव बोर्ड (आईबीडब्ल्यूएल) ने जुलाई 1969 में नई दिल्ली में एक बैठक बुलाई, जिसमें बाघों सहित सभी जंगली बिल्लियों की खालों के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई।
टाइगर टास्क फोर्स और प्रोजेक्ट टाइगर का गठन:
बाघों के संरक्षण के महत्व को देखते हुए, आईबीडब्ल्यूएल की कार्यकारी समिति ने एक 11 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया, जिसने अगस्त 1972 में अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की। 1 अप्रैल, 1973 को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में आधिकारिक तौर पर प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया। शुरुआती चरण में नौ बाघ रिजर्व शामिल थे:
- कॉर्बेट (उत्तर प्रदेश)
- पलामू (बिहार)
- सिमिलिपाल (उड़ीसा)
- सुंदरवन (पश्चिम बंगाल)
- मानस (असम)
- रणथंभौर (राजस्थान)
- कान्हा (मध्य प्रदेश)
- मेलघाट (महाराष्ट्र)
- बांदीपुर (मैसूर)
बाघों के संरक्षण की दिशा में वर्तमान पहल:
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से बाघों के संरक्षण की दिशा में अनेक अग्रणी पहल की गई हैं। इनमें बाघों के आवासों की सुरक्षा, शिकार पर प्रतिबंध, और जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
निष्कर्ष:
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का मुख्य उद्देश्य बाघों के संरक्षण के महत्व को उजागर करना और उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। भारत ने बाघों के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और इस दिशा में प्रयास जारी रखने की आवश्यकता है ताकि बाघों की आबादी को सुरक्षित रखा जा सके।
By – Brajesh Kumar Gaurav
https://youtu.be/tKFTkwacYCE
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