असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद, ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है। ओवैसी ने आरोप लगाया है कि देश में मुसलमान सबसे गरीब और मुस्लिम महिलाएं सबसे ज्यादा वंचित हैं। उन्होंने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि वह मुसलमानों को अछूत मानती है। देश की कुल जनसंख्या का 14.2% हिस्सा मुसलमान हैं, लेकिन उनके आर्थिक हालात बेहद खराब हैं। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की रिपोर्ट के अनुसार, मुसलमानों का प्रति व्यक्ति औसत मासिक आय 1070 रुपये है, जो अन्य धर्मों के मुकाबले सबसे कम है। देश के 25% मुसलमान गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय औसत के मुकाबले मुसलमानों की बेरोजगारी दर भी अधिक है।
शैक्षणिक दृष्टि से भी मुसलमान पीछे हैं। मुसलमानों की साक्षरता दर 68.5% है, जबकि राष्ट्रीय साक्षरता दर 74% है। उच्च शिक्षा में भी मुसलमानों की भागीदारी काफी कम है। केवल 13.8% मुस्लिम युवा उच्च शिक्षा में दाखिला लेते हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 23.6% है। रोजगार के मामले में भी मुसलमानों की स्थिति दयनीय है। केवल 8% मुसलमान सरकारी नौकरियों में हैं, जबकि उनकी जनसंख्या 14.2% है। इसके अलावा, अधिकतर मुसलमान असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जहां वे न्यूनतम वेतन और सुविधाओं से वंचित रहते हैं।
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मुस्लिम महिलाओं की स्थिति और भी खराब है। उनकी साक्षरता दर केवल 51% है, जो कि राष्ट्रीय औसत 65% से काफी कम है। इसके अलावा, केवल 15% मुस्लिम महिलाएं कार्यरत हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 25% है। उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा में भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है। ओवैसी ने आरोप लगाया है कि सरकार की नीतियां मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि सच्चर कमिटी की सिफारिशों को लागू करने में सरकार ने कोताही बरती है। सच्चर कमिटी ने मुसलमानों की स्थिति सुधारने के लिए कई सिफारिशें की थीं, लेकिन उन्हें लागू करने में सरकार नाकाम रही है।
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ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत और भेदभाव बढ़ रहा है। उन्होंने मॉब लिंचिंग और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं का जिक्र किया, जिनमें मुसलमानों को निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा कि सरकार इन घटनाओं पर लगाम लगाने में असफल रही है। असदुद्दीन ओवैसी का यह बयान सरकार को चेतावनी है कि अगर मुसलमानों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए तो सामाजिक असंतोष बढ़ सकता है। मुसलमानों की आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार को गंभीरता से प्रयास करने होंगे। मुसलमानों की उन्नति के बिना देश की प्रगति संभव नहीं है। सरकार को मुसलमानों के प्रति संवेदनशीलता दिखानी होगी और उनके विकास के लिए ठोस नीतियां बनानी होंगी।
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