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दिल्ली हाई कोर्ट की MCD पर कड़ी फटकार: Rau IAS कोचिंग सेंटर हादसे में अधिकारियों की जवाबदेही पर उठाए सवाल

दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में ओल्ड राजेंद्र नगर के Rau IAS कोचिंग सेंटर में हुए हादसे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इस हादसे में तीन छात्रों की जान चली गई थी।

 

दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में ओल्ड राजेंद्र नगर के Rau IAS कोचिंग सेंटर में हुए हादसे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इस हादसे में तीन छात्रों की जान चली गई थी। कोर्ट ने इस घटना को लेकर दिल्ली नगर निगम (MCD) और अन्य संबंधित अधिकारियों की कड़ी आलोचना की है।

कोर्ट की मुख्य चिंताएं और सवाल:

1. MCD अधिकारियों की जवाबदेही: अदालत ने सीधे-सीधे पूछा कि क्या इस हादसे के बाद किसी MCD अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है? कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि हादसे के बाद किसी राहगीर को तो गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन MCD के किसी अधिकारी के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है? कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इस मामले में MCD अधिकारियों की जांच की गई है?

2. अनधिकृत निर्माण: हाई कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि अनधिकृत निर्माण और जल निकासी की समस्याएं पुलिस और अन्य संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकतीं। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में अनधिकृत निर्माण को कैसे अनुमति दी जाती है, जबकि यह एक सामान्य समझ की बात है कि ऐसे निर्माण अव्यवस्थित जल निकासी की समस्या को बढ़ाते हैं।

3. जल निकासी और अतिक्रमण: कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ओल्ड राजेंद्र नगर में जल निकासी की व्यवस्था सही नहीं है। अदालत ने पूछा कि क्षेत्र में इतना पानी जमा कैसे हुआ और क्या MCD अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी? इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने क्यों नालियों को ढकने वाले ढक्कन नहीं हटाए? अदालत ने कहा कि अगर यह समस्या MCD के वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में थी, तो उन्होंने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया?

4. कार्रवाई की कमी: हाई कोर्ट ने कहा कि अब तक हमने MCD में किसी अधिकारी को अपनी नौकरी से हाथ धोते हुए नहीं देखा है। इमारतों के ध्वस्त होने की घटनाओं के बावजूद MCD के किसी वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि MCD ने अपने सबसे जूनियर अधिकारी को निलंबित किया है, लेकिन उस वरिष्ठ अधिकारी का क्या हुआ जिसने पर्यवेक्षण का काम नहीं किया?

5. फ्रीबी कल्चर: कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि MCD के वरिष्ठ अधिकारी अपने वातानुकूलित कार्यालयों से बाहर नहीं निकलते हैं। अदालत ने कहा कि दिल्ली में 3.3 करोड़ लोगों की आबादी है, जबकि इसकी योजना केवल 6-7 लाख लोगों के लिए बनाई गई थी। इस तरह की बड़ी आबादी को बिना इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किए कैसे समायोजित किया जा सकता है?

6. समाधान के सुझाव: अदालत ने कहा कि अगर MCD अधिकारियों को आज नालियों की योजना बनाने के लिए कहा जाए, तो वे ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि उन्हें यह भी नहीं पता कि नालियां कहां हैं। अदालत ने कहा कि दिल्ली एक त्रासदी घटित होने का इंतजार कर रही है, क्योंकि नालियों के लिए कोई मास्टरप्लान नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर जांच अधिकारी इस मामले की सही तरीके से जांच नहीं कर सकते, तो इसे किसी केंद्रीय एजेंसी को सौंप दिया जाएगा।

7. आगे की कार्रवाई: कोर्ट ने आदेश दिया है कि ओल्ड राजेंद्र नगर के सभी नालों को तुरंत साफ किया जाए और इलाके के सभी अतिक्रमणों को दो दिनों के भीतर हटाया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को मैदान पर जाना चाहिए और स्थिति की व्यक्तिगत रूप से जांच करनी चाहिए।

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दिल्ली हाई कोर्ट का यह सख्त रुख MCD और अन्य संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। अदालत की ये टिप्पणियाँ इस ओर इशारा करती हैं कि अगर समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो दिल्ली में भविष्य में और भी गंभीर हादसे हो सकते हैं।

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