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बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और शेख हसीना के इस्तीफे पर शशि थरूर की प्रतिक्रिया: भारत को देना होगा समर्थन का संदेश

बांग्लादेश में इन दिनों हालात काफी बिगड़ चुके हैं, और हिंसा का दौर लगातार जारी है। देश में भीषण आगजनी और दंगों ने स्थिति को बेहद गंभीर बना दिया है। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं, और देश में राजनीतिक उथल-पुथल थमने का नाम नहीं ले रही है।

बांग्लादेश में इन दिनों हालात काफी बिगड़ चुके हैं, और हिंसा का दौर लगातार जारी है। देश में भीषण आगजनी और दंगों ने स्थिति को बेहद गंभीर बना दिया है। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं, और देश में राजनीतिक उथल-पुथल थमने का नाम नहीं ले रही है। इस संदर्भ में, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और शेख हसीना के भविष्य पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के लोग इस समय एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं, और भारत को उनके साथ खड़ा रहना चाहिए। थरूर ने यह भी कहा कि इसमें भारत का कोई स्वार्थ नहीं है, बल्कि यह एक नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपने पड़ोसी देश के लोगों की मदद करें।

शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति पर थरूर ने कहा, “यह बहुत स्पष्ट है कि शेख हसीना का युग अब समाप्त हो चुका है। वह 76 वर्ष की हैं, और मुझे नहीं लगता कि वह निर्वासन में रहते हुए सत्ता में वापसी की योजना बना रही होंगी। यह एक नासमझी होगी।” उन्होंने बांग्लादेश में पिछले 50 वर्षों में हुए राजनीतिक घटनाक्रम पर भी चर्चा की। थरूर ने कहा, “हमने पिछले आधे शतक में मुक्ति आंदोलन से जुड़ी ताकतों, शेख मुजीबुर रहमान और अब उनकी बेटी शेख हसीना के नेतृत्व में एक लंबे समय तक चलने वाला राजनीतिक नाटक देखा है। दूसरी तरफ , बांग्लादेश के अंदर सेना और इस्लामी ताकतों का बढ़ता प्रभाव भी देखने को मिल रहा है।” उन्होंने यह भी बताया कि बांग्लादेश कभी पूर्वी पाकिस्तान हुआ करता था, और वहां के कुछ हिस्सों में इस्लामी उग्रवाद की एक मजबूत आधारशिला है।

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थरूर ने भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंधों पर भी विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “भारत ने हर सरकार के साथ निष्पक्षता से काम किया है, यहां तक कि उन सरकारों के साथ भी जो हमारे प्रति मित्रवत नहीं रही हैं। हमें इस नीति को जारी रखना चाहिए और बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाए रखना चाहिए।” बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन को लेकर पूछे गए सवाल पर थरूर ने कहा, “भारत को बांग्लादेश के लोगों को यह संकेत देना चाहिए कि हम उनके साथ खड़े हैं और उनकी मदद के लिए तैयार हैं। हमें यह स्पष्ट करना होगा कि हम बांग्लादेश में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप की इच्छा नहीं रखते, बल्कि मददगार बनना चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि यह संदेश भारत को सार्वजनिक और निजी दोनों तरह से देना चाहिए।

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थरूर ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि बांग्लादेश में बढ़ते तनाव और हिंसा के चलते हिंदुओं के घरों, मंदिरों और व्यक्तियों पर हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम सभी ने कल लूटपाट की तस्वीरें देखी हैं। हो सकता है कि कुछ दिनों में स्थिति शांत हो जाए और स्थिर हो जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो शरणार्थियों के भारत में आने का खतरा भी बढ़ सकता है, और यह एक गंभीर चिंता का विषय हो सकता है।”

अंतरिम सरकार में किसकी भूमिका होगी, इस पर थरूर ने कहा, “हम अभी भी नहीं जानते कि अंतरिम सरकार में कौन होगा। जमात-ए-इस्लामी के बढ़ते प्रभाव को लेकर भारत में कुछ चिंताएं समझ में आती हैं। उन्होंने अतीत में भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रुख अपनाया है, और चीन और पाकिस्तान द्वारा संभावित हस्तक्षेप भी हमारी चिंताओं को बढ़ा सकता है। हमें एक अस्थिर या अमित्र पड़ोसी नहीं चाहिए।” शशि थरूर ने अंत में उम्मीद जताई कि भारत के उच्चायुक्त और कर्मचारी बांग्लादेश में सुरक्षित हैं और स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

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