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विनेश फोगाट की डिसक्वालीफिकेशन के पीछे की क्या है कहानी ,डॉक्टर दिनशॉ पौडीवाला ने दिया बयान.

भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट के 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती के फाइनल से डिसक्वालीफाई होने के बाद भारतीय दल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ. दिनशॉ पौडीवाला ने कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।

भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट के 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती के फाइनल से डिसक्वालीफाई होने के बाद भारतीय दल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ. दिनशॉ पौडीवाला ने कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। पौडीवाला ने बताया कि विनेश का वजन निर्धारित श्रेणी से 100 ग्राम अधिक था, जिसके कारण उन्हें फाइनल मुकाबले से बाहर होना पड़ा। विनेश फोगाट ने मंगलवार को हुए क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल मुकाबलों में जीत हासिल कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की थी। वह पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं, जिन्होंने इस प्रतियोगिता के फाइनल में जगह बनाई थी। हालांकि, इस उपलब्धि के बावजूद, फाइनल से पहले हुए वेट माप में उनका वजन 50 किलोग्राम से 100 ग्राम ज्यादा पाया गया और उन्हें प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया।

डॉ. दिनशॉ पौडीवाला ने कहा कि विनेश का वजन कम करने के लिए सभी संभावित कठोर कदम उठाए गए थे। उनके न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह पर, विनेश को पूरे दिन में केवल 1.5 किलोग्राम पोषण दिया गया, जो मुकाबलों के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान कर सके। डॉ. पौडीवाला ने बताया कि कभी-कभी मुकाबले के बाद शरीर का वजन थोड़ा बढ़ सकता है, और यही विनेश के साथ भी हुआ। मुकाबलों के दौरान, विनेश को डिहाईड्रेशन से बचाने के लिए सिर्फ पानी दिया गया था, फिर भी उनका वजन वांछित सीमा से अधिक रहा।

वजन घटाने के प्रयास के तहत पहले सामान्य प्रक्रिया अपनाई गई। इसके बावजूद भी जब वजन कम नहीं हुआ, तो रात भर विभिन्न उपाय किए गए। वजन घटाने की इस प्रक्रिया में, उन्होंने विनेश के बाल काटने और उनके कपड़ों को भी छोटा करने जैसे उपाय किए। इसके बावजूद, उनके वजन को 50 किलोग्राम के वर्ग में लाना संभव नहीं हो सका। डॉ. पौडीवाला ने बताया कि विनेश के वजन को कम करने के लिए जो भी संभव प्रयास हो सकते थे, वे किए गए, लेकिन अंतिम माप में उनका वजन 50 किलोग्राम से 100 ग्राम अधिक था।

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डॉ. पौडीवाला ने यह भी बताया कि डिसक्वालीफिकेशन के बाद, विनेश को तुरंत तरल पदार्थ दिए गए ताकि उनके शरीर में डिहाईड्रेशन न हो। उन्होंने कहा, “हमारे लिए खिलाड़ी का स्वास्थ्य सर्वोपरि है, और हमने सुनिश्चित किया कि विनेश का स्वास्थ्य प्रभावित न हो।” विनेश फोगाट का यह अनुभव अन्य एथलीट्स के लिए एक सबक के रूप में देखा जा सकता है कि कैसे प्रतियोगिता के दौरान वजन और पोषण का प्रबंधन किया जाए। यह घटना यह भी दर्शाती है कि एथलीट्स के लिए वजन प्रबंधन कितना संवेदनशील मुद्दा हो सकता है और इसे कितनी सावधानीपूर्वक देखा जाना चाहिए। विनेश ने भले ही फाइनल में भाग नहीं लिया हो, लेकिन उन्होंने अपने खेल के प्रदर्शन से भारतीय कुश्ती में एक नई मानक स्थापित किया है।

 

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