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बांग्लादेशी हिंदू परिवारों की भारत में शरण की कोशिश, सीमा पर बढ़ा तनाव और कड़ी की गई बॉर्डर पर सुरक्षा .

बांग्लादेश में नई सरकार बनने के बावजूद हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस हिंसा में खासकर अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, जिसके कारण हजारों हिंदू परिवार अपना घर छोड़कर भारत में शरण लेना चाहते हैं।

बांग्लादेश में नई सरकार बनने के बावजूद हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस हिंसा में खासकर अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, जिसके कारण हजारों हिंदू परिवार अपना घर छोड़कर भारत में शरण लेना चाहते हैं। वर्तमान में बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग भारत-बांग्लादेश सीमा पर एकत्रित हैं, जो भारत में प्रवेश की अनुमति मांग रहे हैं पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के सितालकुची में करीब 1000 बांग्लादेशी नागरिक भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित जलाशय में खड़े होकर बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) से भारत में प्रवेश की अनुमति की गुहार लगा रहे हैं। बीएसएफ ने बताया कि यह अब तक का सबसे बड़ा समूह है, जिसने भारत में प्रवेश की कोशिश की है।

सितालकुची के काशियार बरुनी इलाके के पठानटुली गांव में सीमा पार करने की कोशिश कर रहे लोगों की स्थिति अत्यधिक विकट है। वे लोग बाड़ के पार जलाशय में घंटों इंतजार करते रहे, लेकिन अपने गांवों में वापस जाने को तैयार नहीं हुए। इनमें से कुछ लोग ‘जय श्री राम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए भी देखे गए। बीएसएफ कर्मियों ने इन लोगों को सीमा के जीरो पॉइंट (नो मैन्स लैंड) से करीब 150 गज की दूरी पर बाड़ पार करने से रोक दिया। बीएसएफ की कई बार की अपील के बावजूद भी ये लोग बांग्लादेश के रंगपुर जिले के दोई खावा और गेंदुगुरी गांवों में लौटने को तैयार नहीं हुए। इस स्थिति से बीएसएफ के लिए नई चुनौती उत्पन्न हो गई है।

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बीएसएफ के पूर्वी कमान के एडीजी को इस स्थिति से निपटने के लिए गठित एक समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। समिति को इस सीमा पर नजर रखने का कार्य सौंपा गया है। इससे पहले, बांग्लादेश में हिंसा की घटनाओं को देखते हुए भारत सरकार ने सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी थी। पिछले कुछ दिनों से उत्तर 24 परगना जिले के पेट्रापोल सीमा पर भी बांग्लादेश से लोगों का आना जारी है। यह स्थिति भारत सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि बांग्लादेश में हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, और इसके परिणामस्वरूप सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव बढ़ रहा है।

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इस स्थिति के मद्देनजर भारत सरकार ने सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे अत्याचार और हिंसा से उत्पन्न इस संकट ने भारत की चिंता को बढ़ा दिया है।

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