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स्वतंत्रता दिवस पर आतिशी को नहीं मिलेगा ध्वजारोहण का मौका, केजरीवाल के स्थान पर प्रस्ताव खारिज.

स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने के मुद्दे ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना के बीच एक नए टकराव को जन्म दे दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से छत्रसाल स्टेडियम में होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में तिरंगा फहराने के लिए कैबिनेट मंत्री आतिशी को अपनी जगह नामित करने का प्रस्ताव भेजा।

स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने के मुद्दे ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना के बीच एक नए टकराव को जन्म दे दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से छत्रसाल स्टेडियम में होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में तिरंगा फहराने के लिए कैबिनेट मंत्री आतिशी को अपनी जगह नामित करने का प्रस्ताव भेजा। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 6 अगस्त को तिहाड़ जेल से एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण करने की जिम्मेदारी आतिशी को सौंपने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने जेल से यह पत्र दिल्ली सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (जीएडी) को भेजा था। हालांकि, यह पत्र विवाद का कारण बन गया क्योंकि जेल प्रशासन और दिल्ली के जीएडी विभाग ने इस पर आपत्ति जताई।

दिल्ली के जीएडी विभाग ने 9 अगस्त को मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को खारिज कर दिया और इसे कानूनी रूप से अमान्य करार दिया। जीएडी ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री के पास इस तरह का आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। विभाग ने मंत्री गोपाल राय को लिखे अपने पत्र में कहा कि आतिशी को स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह निर्णय कानूनी रूप से सही नहीं है।

जीएडी के इस कदम ने दिल्ली सरकार और राजनिवास के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। इससे पहले, 7 अगस्त को गोपाल राय ने तिहाड़ जेल में मुख्यमंत्री केजरीवाल से मुलाकात की थी और उनकी इच्छा के अनुसार जीएडी को आदेश जारी किया था। इसके बावजूद, जीएडी ने इस आदेश को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया। इस बीच, तिहाड़ जेल प्रशासन ने भी केजरीवाल के इस कदम पर नाराजगी जताई। जेल प्रशासन ने कहा कि विचाराधीन कैदी होने के नाते केजरीवाल के पास जेल से बाहर किसी भी प्रकार का शासकीय निर्देश या निवेदन पत्र भेजने का अधिकार नहीं है। जेल प्रशासन ने इस कदम को जेल नियमावली का उल्लंघन बताते हुए इसे विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करार दिया।

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जेल संख्या-दो के अधीक्षक ने 9 अगस्त को केजरीवाल को एक पत्र भेजा, जिसमें इस मामले पर गंभीर आपत्ति दर्ज की गई। अधीक्षक ने लिखा कि विचाराधीन कैदी के रूप में मुख्यमंत्री केजरीवाल पर जेल के नियम लागू होते हैं, जो उनके अधिकारों और विशेषाधिकारों को सीमित करते हैं। अधीक्षक ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि मुख्यमंत्री द्वारा 6 अगस्त को सौंपे गए पत्र की विषय-वस्तु बिना किसी अधिकार के बाहर लीक कर दी गई। जेल प्रशासन ने चेतावनी दी कि यदि विशेषाधिकारों का दुरुपयोग किया गया तो उन्हें कम कर दिया जाएगा।

वहीं, इस विवाद को लेकर भाजपा ने आम आदमी पार्टी की सरकार पर स्वतंत्रता दिवस समारोह को विवादित करने का आरोप लगाया। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि आप नेताओं ने जानबूझकर यह भ्रम फैलाया कि इस बार स्वतंत्रता दिवस पर आतिशी तिरंगा फहराएंगी। उन्होंने कहा कि तिहाड़ जेल अधीक्षक के पत्र ने आप नेताओं के झूठ को उजागर कर दिया है।

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सचदेवा ने कहा कि मुख्यमंत्री जेल से कोई भी शासकीय निर्देश या निवेदन पत्र नहीं भेज सकते, और इस सच्चाई के सामने आने के बाद भी मंत्री गोपाल राय असंवैधानिक आदेश जारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में संविधान विशेषज्ञों से राय लेकर उपराज्यपाल को निर्णय लेना चाहिए। यह पूरा मामला दिल्ली की राजनीति में एक नए अध्याय को जोड़ता है, जहां सरकार और उपराज्यपाल के बीच का संघर्ष एक बार फिर से उभर कर सामने आया है। स्वतंत्रता दिवस जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व पर इस प्रकार का विवाद, न केवल सरकार और राजनिवास के बीच के तनाव को दिखाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि दोनों पक्षों के बीच संवाद की कमी किस प्रकार से संवैधानिक व्यवस्था को चुनौती दे सकती है।

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