देश की बागडोर छोड़ी, लेकिन मुश्किलें नहीं… शेख हसीना पर हत्या का मामला दर्ज.
हाल के दिनों में बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल ने गंभीर मोड़ लिया है, जब हिंसा के बढ़ते मामलों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़ने की नौबत आ गई। 76 वर्षीय शेख हसीना को 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा, और तब से वे भारत में रह रही हैं।
हाल के दिनों में बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल ने गंभीर मोड़ लिया है, जब हिंसा के बढ़ते मामलों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़ने की नौबत आ गई। 76 वर्षीय शेख हसीना को 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा, और तब से वे भारत में रह रही हैं। उनके लिए मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं, क्योंकि एक ओर उन्हें किसी देश में शरण नहीं मिल पा रही है, और दूसरी ओर उनके खिलाफ बांग्लादेश में हत्या का मामला दर्ज हुआ है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में किराने की एक दुकान के मालिक की हत्या के मामले में शेख हसीना और उनके 6 सहयोगियों के खिलाफ अदालत में सुनवाई शुरू हो चुकी है। यह मामला 19 जुलाई को मोहम्मदपुर में हुई एक हिंसक झड़प के दौरान पुलिस फायरिंग से जुड़ा हुआ है, जिसमें अबू सईद नामक एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। अबू सईद की मौत के बाद उनके परिचित आमिर हमजा शातिर ने शेख हसीना और अन्य के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया था।
शेख हसीना के साथ-साथ इस मामले में अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादर, तत्कालीन गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून, पूर्व डीबी प्रमुख हारुन रशीद, पूर्व डीएमपी आयुक्त हबीबुर रहमान और पूर्व डीएमपी संयुक्त आयुक्त बिप्लब कुमार सरकार को भी आरोपी बनाया गया है। यह मामला ढाका मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत में दर्ज हुआ है, और अब इसे लेकर कानूनी प्रक्रिया शुरू हो गई है। शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश में हिंसा की घटनाओं में भारी बढ़ोतरी हुई है। बांग्लादेश के अखबार ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार , 5 अगस्त को हसीना सरकार के गिरने के तुरन्त बाद देशभर में जो हिंसा फैली है उसमे अब तक 230 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। यह हिंसा तब से शुरू हुई जब जुलाई के मध्य में नौकरी में आरक्षण की विवादास्पद व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस आंदोलन और उसके बाद की हिंसा में अब तक कुल 560 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
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हसीना सरकार पर मानव अधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोप भी लग रहे हैं, जिसमें हजारों राजनीतिक विरोधियों की हत्या के आरोप शामिल हैं। उनकी सरकार पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान विपक्ष को दबाने के लिए कठोर कदम उठाए और राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ गंभीर कार्रवाई की। शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़ने के बाद, बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है। 84 वर्षीय मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार बनाया गया है। यूनुस एक नोबेल पुरस्कार विजेता हैं, जिन्हें 2006 में शांति का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। उनके नेतृत्व में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है।
इस बीच, बांग्लादेश सरकार के एक शीर्ष सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा है कि शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने से भारत-बांग्लादेश संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हुसैन ने कहा कि ढाका हमेशा नई दिल्ली के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश करेगा और दोनों देशों के हितों को एक व्यक्ति से प्रभावित नहीं होना चाहिए। उनका कहना है कि भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंध दोनों देशों के आपसी हितों पर आधारित हैं और इसे किसी भी राजनीतिक घटना से प्रभावित नहीं होना चाहिए।बांग्लादेश में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और देश की राजनीतिक स्थिति बेहद अस्थिर है। शेख हसीना के जाने के बाद, उनकी पार्टी अवामी लीग भी कमजोर पड़ गई है और अब यह देखना होगा कि बांग्लादेश की राजनीति किस दिशा में जाती है। हसीना पर चल रहे हत्या के मामले की सुनवाई और मानव अधिकारों के उल्लंघन के आरोपों से उनका राजनीतिक करियर गंभीर संकट में है।
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शेख हसीना, जो एक समय बांग्लादेश की सबसे ताकतवर नेता थीं, अब देश छोड़ने के बाद एक अज्ञात भविष्य का सामना कर रही हैं। उनकी गिरफ्तारी की संभावना और उनके खिलाफ दर्ज मामलों की जांच, उनके जीवन और करियर के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकती है। उनके खिलाफ दर्ज यह पहला मामला है, और यह देखना बाकी है कि आगे आने वाले समय में उनके खिलाफ और क्या कानूनी कार्रवाई की जाती है।बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति बेहद संवेदनशील है, और देश के अंदर और बाहर दोनों जगह इसे लेकर बड़ी चिंता है। हसीना के खिलाफ उठाए गए कानूनी कदम और देश में फैली हिंसा ने बांग्लादेश के भविष्य को अनिश्चित कर दिया है। यह देखना होगा कि देश के राजनीतिक और सामाजिक हालात किस दिशा में बढ़ते हैं, और शेख हसीना का भविष्य क्या होता है।