वक्फ संशोधन विधेयक की समीक्षा के लिए संसद की संयुक्त समिति का गठन, जगदंबिका पाल होंगे अध्यक्ष.
वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर संसद में हाल ही में बड़ी बहस और विवाद देखने को मिला है। इस विधेयक को लेकर संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा में तीव्र हंगामा हुआ। इसके बाद सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने इस विवादास्पद विधेयक को और अधिक अध्ययन और समीक्षा के लिए संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर संसद में हाल ही में बड़ी बहस और विवाद देखने को मिला है। इस विधेयक को लेकर संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा में तीव्र हंगामा हुआ। इसके बाद सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने इस विवादास्पद विधेयक को और अधिक अध्ययन और समीक्षा के लिए संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया है। अब यह खबर सामने आई है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता जगदंबिका पाल को इस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। समिति का काम इस विधेयक के सभी प्रावधानों की गहराई से जांच करना होगा और रिपोर्ट तैयार करना होगा।
विपक्षी दलों ने लोकसभा में इस विधेयक के विभिन्न प्रावधानों पर गहरा विरोध व्यक्त किया। विशेष रूप से, उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। विधेयक में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिनसे वक्फ बोर्डों और संबंधित हितधारकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकते हैं। विपक्ष का आरोप है कि यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदायों के हितों के खिलाफ है और इससे उनकी संपत्तियों पर सरकार का अधिकार बढ़ सकता है।
खबर भी पढ़ें : कोलकाता में महिला डॉक्टर की हत्या पर देशभर में आक्रोश, डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल और विरोध प्रदर्शन जारी.
केंद्र सरकार ने विपक्ष के इन आरोपों और विवादों को ध्यान में रखते हुए इस विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने का निर्णय लिया। यह समिति इस विधेयक के प्रावधानों की जांच करेगी और इसमें संभावित सुधारों के लिए सुझाव पेश करेगी। संयुक्त समिति में कुल 31 सदस्य शामिल हैं, जिनमें से 21 सदस्य लोकसभा से और 10 सदस्य राज्यसभा से हैं। लोकसभा के सदस्य जो इस समिति का हिस्सा हैं, उनमें जगदंबिका पाल के अलावा डॉ. निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जायसवाल, दिलीप शाक्य, अभिजीत गंगोपाध्याय, डी.के. अरुणा, गौरव गोगोई, इमरान मसूद, डॉ. मोहम्मद जावेद, मोहिबुल्लाह, कल्याण बनर्जी, ए. राजा, लावु श्री कृष्ण देवरायलु, दिलेश्वर कामेत, अरविंद सावंत, सुरेश गोपीनाथ, नरेश गणपत म्हस्के, अरुण भारती और असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं।
राज्यसभा के सदस्यों में बृज लाल, मेधा कुलकर्णी, गुलाम अली, डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल, डॉ. सईद नसीर हुसैन, मोहम्मद नदीमुल हक, वी. वियसाई रेड्डी, एम. मोहम्मद अब्दुल्ला, संजय सिंह और डॉ. धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े शामिल हैं। विधेयक की जटिलताओं और इसके प्रभावों को देखते हुए, यह संभावना है कि समिति गहन समीक्षा के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। संसद के अगले सत्र में समिति द्वारा इस विधेयक पर विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाएगी, जो इस मुद्दे पर आगे की दिशा निर्धारित करेगी। यह रिपोर्ट विधेयक में संभावित संशोधनों और सुधारों की सिफारिश कर सकती है, जिसे फिर से संसद के दोनों सदनों में बहस के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
खबर भी पढ़ें : अदाणी विवाद पर कांग्रेस का आक्रामक रुख, 22 अगस्त को देशभर में प्रदर्शन की घोषणा.
गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया था। इसके बाद हुए विवाद और विपक्ष के विरोध को देखते हुए, सरकार ने इस विधेयक को संयुक्त समिति को सौंपने का निर्णय लिया। अधिकारियों का कहना है कि समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल की अगुवाई में जल्द ही एक औपचारिक अधिसूचना जारी की जा सकती है, जिसके बाद समिति अपने कार्य में तेजी से जुटेगी। इस विधेयक की समीक्षा और इसके संभावित प्रभावों पर नजर रखने के लिए सभी संबंधित हितधारकों और राजनीतिक दलों की निगाहें अब इस संयुक्त समिति की कार्यवाही पर लगी रहेंगी।