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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सभी हड़ताली डॉक्टरों को काम पर लौटने का दिया निर्देश, कहा कि तुरंत काम पर लोटे सभी डाक्टर्स

शनिवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य के डॉक्टरों को हड़ताल समाप्त कर और तुरंत काम पर लौटने का आदेश दिया। इस आदेश को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह की खंडपीठ नरसिंहपुर निवासी अंशुल तिवारी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया गया।

शनिवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य के डॉक्टरों को हड़ताल समाप्त कर और तुरंत काम पर लौटने का आदेश दिया। इस आदेश को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह की खंडपीठ नरसिंहपुर निवासी अंशुल तिवारी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया गया। याचिकाकर्ता के वकील संजय अग्रवाल और अधिवक्ता अंजू अग्रवाल ने बताया कि कोर्ट ने डॉक्टरों को निर्देश दिया कि वे अपनी मांगों और समस्याओं को अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें, लेकिन हड़ताल तत्काल प्रभाव से समाप्त करें। अदालत ने अभी विस्तृत आदेश नहीं दिया है, लेकिन आदेश आने तक डॉक्टरों को अपनी सेवाओं पर लौटने का निर्देश दिया गया है।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत सैकड़ों रेजिडेंट डॉक्टरों ने शुक्रवार से आपातकालीन सेवाओं को रोक दिया था और हड़ताल पर चले गए थे। डॉक्टरों का यह हड़ताल कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला चिकित्सक के साथ हुए कथित दुष्कर्म और हत्या के विरोध में थी। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने इस घटना के खिलाफ 17 अगस्त को सुबह छह बजे से 24 घंटे के लिए गैर-आपातकालीन सेवाओं को बंद करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद, मध्य प्रदेश के डॉक्टरों ने भी हड़ताल शुरू कर दी, जिसमें उन्होंने आपातकालीन सेवाओं को भी शामिल कर लिया।

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उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार और संबंधित विभागों को नोटिस जारी करते हुए 24 घंटे के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा था। इस नोटिस में अदालत ने डॉक्टरों द्वारा की गई हड़ताल और उससे प्रभावित हो रही स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी हड़ताल, विशेष रूप से आपातकालीन सेवाओं को बंद करना, जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।

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इस मामले में डॉक्टरों के प्रतिनिधियों का कहना है कि वे महिला डॉक्टर के साथ हुए अन्याय के खिलाफ खड़े हो रहे हैं और उनकी मांग है कि इस घटना में शामिल दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। डॉक्टरों ने कहा कि उनका विरोध सिर्फ एक दिन का था, लेकिन इसे मजबूरन बढ़ाना पड़ा क्योंकि उन्हें न्याय की उम्मीद नहीं दिख रही थी। हालांकि, उच्च न्यायालय के आदेश के बाद डॉक्टरों को अपनी मांगें और शिकायतें अदालत में पेश करने का मौका दिया गया है, और हड़ताल समाप्त कर काम पर लौटने का निर्देश दिया गया है। अभी इस मामले पर अदालत द्वारा विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा की जा रही है, जिसमें डॉक्टरों की शिकायतों पर विचार किया जाएगा।

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