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कोल्हान में JMM की स्थिति पर चंपई सोरेन का प्रभाव, विस चुनाव में पार्टी को झटका लगने की संभावना.

चंपई सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में एक महत्वपूर्ण और लंबा राजनीतिक सफर रहा है, लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उनका यह सफर समाप्ति की ओर है। चंपई सोरेन कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों में झामुमो की जड़ें जमाने में एक मुख्य भूमिका निभाते रहे हैं।

चंपई सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में एक महत्वपूर्ण और लंबा राजनीतिक सफर रहा है, लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उनका यह सफर समाप्ति की ओर है। चंपई सोरेन कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों में झामुमो की जड़ें जमाने में एक मुख्य भूमिका निभाते रहे हैं। अलग राज्य आंदोलन के दौरान से ही वे ‘कोल्हान टाइगर’ के नाम से लोकप्रिय रहे हैं और उनका जनमानस पर प्रभाव व्यापक रहा है। चंपई सोरेन ने मजदूर आंदोलनों में भी एक अहम भूमिका अदा की है, जिसमें उन्होंने बड़े औद्योगिक घरानों को सम्मानजनक समझौतों के लिए मजबूर किया। उनके इस प्रभाव के कारण ही झामुमो ने कोल्हान प्रमंडल में एक अभेद्य गढ़ बना रखा था, जैसा कि संताल प्रमंडल में भी देखने को मिलता है। यह प्रभाव ही था जिसके चलते विपरीत परिस्थितियों में उन्हें मुख्यमंत्री पद भी सौंपा गया।

हालांकि, चंपई सोरेन के राजनीतिक सफर में एक मोड़ तब आया जब उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में उनकी नाराजगी की खबरें छनकर आने लगीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस नाराजगी के चलते वे झामुमो से अलग रास्ता अख्तियार कर सकते हैं। लेकिन जब उन्हें हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में शामिल किया गया, तो यह संभावना बनी कि वे पार्टी में ही बने रहेंगे। अब सवाल यह है कि यदि चंपई सोरेन भाजपा में शामिल होते हैं, तो झामुमो को कोल्हान प्रमंडल में किस प्रकार का झटका लग सकता है? खासकर तब, जब पिछली विधानसभा चुनावों में झामुमो ने इस प्रमंडल में भाजपा का खाता भी नहीं खुलने दिया था। कोल्हान प्रमंडल के ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। यहां तक कि जमशेदपुर पूर्वी से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी पराजित होना पड़ा था।

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भाजपा ने इस बार कोल्हान क्षेत्र को लेकर अपनी रणनीति को मजबूत किया है और चंपई सोरेन के संभावित भाजपा में शामिल होने को एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा के बड़े रणनीतिकारों ने कोल्हान क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए चंपई सोरेन के प्रभाव का लाभ उठाने की योजना बनाई है। बंगाल भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की मध्यस्थता ने इस प्रक्रिया को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। चंपई सोरेन ने हाल ही में दिल्ली रवाना होने से पहले कोलकाता के एक बड़े होटल में भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की, जिसके बाद वे दिल्ली की ओर रवाना हुए। इस घटनाक्रम ने झारखंड की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। अगर चंपई सोरेन भाजपा में शामिल होते हैं, तो यह झामुमो के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, खासकर कोल्हान प्रमंडल में, जहां उनकी अनुपस्थिति में झामुमो के लिए पिछला प्रदर्शन दोहराना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

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यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चंपई सोरेन का यह कदम झारखंड की राजनीति में क्या बदलाव लाता है। झामुमो के लिए यह एक कठिन दौर साबित हो सकता है, जबकि भाजपा के लिए यह एक बड़ी सफलता हो सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें इस पूरे घटनाक्रम पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह झारखंड की राजनीतिक परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखता है।

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