पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा पर उठे सवाल, राज्यपाल और विपक्ष ने की ममता सरकार पर तीखी आलोचना.
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने हाल ही में एक बयान दिया है जो राज्य में महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान नहीं है और राज्य ने अपनी महिलाओं को निराश किया है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने हाल ही में एक बयान दिया है जो राज्य में महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान नहीं है और राज्य ने अपनी महिलाओं को निराश किया है। राज्यपाल का आरोप है कि यह विफलता समाज की नहीं, बल्कि राज्य की मौजूदा सरकार की असंवेदनशीलता का परिणाम है। उनके अनुसार, बंगाल को उसके प्राचीन गौरव की स्थिति में वापस लाने की आवश्यकता है, जहां महिलाओं को समाज में सम्मान और सुरक्षा प्राप्त होती थी। वर्तमान स्थिति यह है कि महिलाएं गुंडों से भयभीत रहती हैं, और इसका कारण सरकार की निष्क्रियता और असंवेदनशीलता है।
राज्यपाल का यह बयान उस समय आया जब उन्होंने रक्षाबंधन के अवसर पर राजभवन में महिला नेताओं और डॉक्टरों से मुलाकात की। उन्होंने इस मुलाकात के दौरान राज्य में लोकतंत्र की कमजोर स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, और यह स्थिति बर्दाश्त नहीं की जा सकती। उन्होंने समाज से आग्रह किया कि वह एक ऐसा वातावरण बनाए जहां महिलाएं सुरक्षित और खुशहाल महसूस करें। राज्यपाल ने कहा कि हमें अपनी बेटियों और बहनों की रक्षा के लिए शपथ लेनी चाहिए। उन्होंने पुरुषों से अपील की कि वे अपनी जिम्मेदारियों को समझें और समाज को सुरक्षित बनाने में योगदान दें।
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राज्यपाल का यह बयान उस समय आया जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला के साथ हुई घटना ने राज्य में हलचल मचा दी है। राज्यपाल ने इस घटना पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि वह पीड़िता की मां की भावनाओं का सम्मान करते हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि कानून अपने तरीके से कार्रवाई करेगा और न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।
इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी राज्य सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा के नेता शहजाद पूनावाला ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग की है। उनका आरोप है कि ममता बनर्जी सरकार उन लोगों को धमका रही है जो इस मुद्दे पर आवाज उठा रहे हैं। पुलिस द्वारा डॉक्टरों को पूछताछ के लिए बुलाने और सांसदों को तलब करने की घटनाओं पर उन्होंने कड़ी आपत्ति जताई। पूनावाला का कहना है कि ममता बनर्जी सरकार ने सबूतों को नष्ट करने के लिए संस्थागत और प्रणालीगत दृष्टिकोण अपनाया है। इस मुद्दे पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने पहले ही राज्य सरकार के प्रति असंतोष व्यक्त किया है, और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले का संज्ञान लिया है।
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भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सीआर केसवण ने कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा कि सोनिया गांधी ने कोलकाता में हुई इस घटना पर अब तक कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी है? केसवण का आरोप है कि तृणमूल सरकार न्याय की मांग करने वालों की आवाज को दबा रही है, और सोनिया गांधी को इस पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। उनके अनुसार, यह भारतीय लोकतंत्र के सबसे अंधकारमय अध्यायों में से एक है, जिसे इंदिरा गांधी के आपातकाल के बाद देखा गया है।
इस पूरे घटनाक्रम ने पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा और राज्य सरकार की भूमिका पर एक व्यापक बहस को जन्म दिया है। राज्यपाल, विपक्षी दलों और अन्य संगठनों द्वारा उठाए गए मुद्दे यह संकेत देते हैं कि राज्य में महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए गंभीर प्रयासों की आवश्यकता है।