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Defense Minister Rajnath Singh’s visit to America: द्विपक्षीय संबंधों में नई मजबूती और वैश्विक साझेदारी की दिशा में कदम.

अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को चार दिवसीय यात्रा पर वॉशिंगटन पहुंचे। इस दौरे के दौरान उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री लायड ऑस्टिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की योजना बनाई है, साथ ही अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से भी मुलाकात करेंगे।

अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को चार दिवसीय यात्रा पर वॉशिंगटन पहुंचे। इस दौरे के दौरान उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री लायड ऑस्टिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की योजना बनाई है, साथ ही अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से भी मुलाकात करेंगे। राजनाथ सिंह की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा संबंधों को और अधिक मजबूत बनाना है। वॉशिंगटन पहुंचने के बाद, राजनाथ सिंह ने प्रवासी भारतीयों से मुलाकात की और उनके साथ संवाद किया। इस संवाद के दौरान उन्होंने भारत की वैश्विक नीति और उसके नैतिक सिद्धांतों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत कभी भी किसी देश के खिलाफ छल-कपट नहीं करता और हमेशा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांत का पालन करता है। उनका कहना था कि भारत का इतिहास इस बात का साक्षी है कि वह कभी भी दूसरे देशों के साथ छल-कपट नहीं करता। उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भी ईमानदारी से काम करने की सलाह दी और कहा कि वे अमेरिका के प्रति भी उसी निष्ठा के साथ समर्पित रहें जैसे वे भारत के प्रति हैं।

रक्षा मंत्री ने प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा, “आप सभी को ईमानदारी और समर्पण के साथ काम करना चाहिए। भारत के प्रति समर्पण होना चाहिए, लेकिन अमेरिका के प्रति आपकी निष्ठा पर भी कोई सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि भारतीयों की अच्छी छवि तभी बन सकती है जब वे अपने कार्यस्थल पर ईमानदारी और निष्ठा से काम करें। उन्होंने जोर दिया कि भारत के लोग छल-कपट से दूर रहते हैं और यह बात दुनिया तक पहुंचनी चाहिए कि हम कभी भी किसी को धोखा नहीं देते। राजनाथ सिंह ने अपनी यात्रा के दौरान यह भी कहा कि भारत ने दुनिया को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश दिया है, जिसका अर्थ है कि “पूरा विश्व एक परिवार है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत हमेशा से सभी जातियों, धर्मों और समुदायों के लोगों को एक परिवार मानता आया है और यह उसका नैतिक सिद्धांत है। उन्होंने कहा, “हमारा देश वो देश है जिसने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि सभी लोग, चाहे उनकी जाति, धर्म या समुदाय कुछ भी हो, एक ही परिवार के सदस्य हैं।”

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भारत और अमेरिका के बीच संबंधों की ऐतिहासिकता पर बात करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इन दोनों देशों का मिलना किसी नियति से कम नहीं है। उन्होंने क्रिस्टोफर कोलंबस का उदाहरण देते हुए कहा कि वह भारत की खोज के लिए निकला था, लेकिन वह अमेरिका पहुंच गया। इस तरह से दोनों देशों के बीच संबंध काफी पुराने हैं। वर्तमान समय में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। नवंबर 2023 में पांचवें वार्षिक भारत-अमेरिका टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय संवाद के बाद दोनों देशों ने द्विपक्षीय रक्षा पहल पर प्रगति की सराहना की है। अमेरिका ने भारत के सैन्य आधुनिकीकरण और रक्षा औद्योगिक सहयोग के लिए एक रोडमैप तैयार किया है, जिसके तहत अरब सागर और निकटवर्ती जलमार्गों में कानून के शासन के लिए भारत के समर्थन की प्रतिबद्धता जताई गई है।

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इस वर्ष जून में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भारत का दौरा किया था। इस दौरान नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच कई रणनीतिक, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई थी। इनमें क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (आईसीईटी) पहल भी शामिल है, जो जनवरी 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा लॉन्च की गई थी। इस पहल का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करना है। रक्षा मंत्री की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच रक्षा और सुरक्षा संबंधों को और अधिक मजबूत बनाना है। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी और नए रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं। यह यात्रा भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को और अधिक मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।

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भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते हुए संबंध इस बात का संकेत हैं कि दोनों देश वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं। राजनाथ सिंह की यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को और अधिक गहरा करेगी और वैश्विक सुरक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करेगी।

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