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झारखंड की सियासत में हलचल, पूर्व सीएम चंपई सोरेन भाजपा में होंगे शामिल।

झारखंड में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। हाल ही में, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की घोषणा करने वाले हैं।

झारखंड में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। हाल ही में, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की घोषणा करने वाले हैं। भाजपा प्रदेश प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस खबर की पुष्टि की। चंपई सोरेन 30 अगस्त को रांची में भाजपा में औपचारिक रूप से शामिल होंगे। चंपई सोरेन ने हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और भाजपा में शामिल होने के निर्णय की पुष्टि की। उनकी दिल्ली की यह यात्रा उनकी झामुमो से अलग होने की अटकलों के बीच आई है। चंपई ने झामुमो नेतृत्व पर अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया और एक नई राजनीतिक राह तलाशने की बात कही थी।

चंपई सोरेन की राजनीति में एक लंबी यात्रा रही है। उन्होंने 1991 में निर्दलीय विधायक के रूप में राजनीति में कदम रखा और फिर 1995 में झामुमो के टिकट पर विधायक बने। इसके बाद उन्होंने 2005, 2009, 2014 और 2019 में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की। झारखंड के आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका रही है, जिससे उन्हें ‘झारखंड टाइगर’ के उपनाम से जाना जाता है। चंपई ने शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन के साथ मिलकर झारखंड के आदिवासी समुदाय के हितों के लिए काम किया।

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चंपई ने 2010 से 2014 तक विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली और 2019 में हेमंत सोरेन की सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री पदों पर कार्य किया। हाल ही में, 31 जनवरी 2024 को भूमि घोटाले के आरोपों में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया। लेकिन, जुलाई 2024 में हेमंत सोरेन की जमानत पर रिहाई के बाद चंपई को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया और वे फिर से कैबिनेट मंत्री के पद पर नियुक्त हुए।

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चंपई सोरेन के झामुमो से अलग होने और भाजपा में शामिल होने के निर्णय ने झारखंड की राजनीतिक स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे के बाद झामुमो के नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए थे और एक नई राजनीतिक दिशा की ओर कदम बढ़ाया। अब देखना यह होगा कि भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी राजनीतिक यात्रा कैसी रहती है और झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

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