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सोशल मीडिया पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ के नाम से ठगी, सुप्रीम कोर्ट ने दर्ज कराई साइबर क्राइम शिकायत.

दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम सेल ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के नाम का इस्तेमाल कर ठगी करने के एक मामले में एक सोशल मीडिया हैंडल के खिलाफ कंप्लेंट दर्ज की है।

दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम सेल ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के नाम का इस्तेमाल कर ठगी करने के एक मामले में एक सोशल मीडिया हैंडल के खिलाफ कंप्लेंट दर्ज की है। यह मामला 27 अगस्त 2024 को सामने आया, जब एक जालसाज ने सोशल मीडिया पर खुद को सीजेआई के रूप में पेश करते हुए लोगों से पैसे मांगने की कोशिश की। यह घटना तब उजागर हुई, जब मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने रविवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक संदेश के स्क्रीनशॉट पर ध्यान दिया। इस मैसेज में जालसाज ने खुद को सीजेआई के रूप में प्रस्तुत किया था और कैब के किराए के लिए एक एक्स यूजर से पैसे मांगे थे। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट के सुरक्षा विभाग ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराई।

सोशल मीडिया पर जालसाज ने एक फर्जी प्रोफाइल बनाई, जिसमें उसका नाम डीवाई चंद्रचूड़ दिखाया गया था। उसने प्रोफाइल में मुख्य न्यायाधीश की तस्वीर का भी इस्तेमाल किया। इस फर्जी प्रोफाइल का इस्तेमाल कर जालसाज ने दावा किया कि वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश हैं और एक महत्वपूर्ण कॉलेजियम बैठक में भाग लेने के लिए कैब की आवश्यकता है। पोस्ट में जालसाज ने लिखा, “नमस्ते, मैं सीजेआई हूं और मुझे एक जरूरी कॉलेजियम बैठक के लिए कैब की जरूरत है। मैं इस समय दिल्ली के कनॉट प्लेस में फंसा हुआ हूं। क्या आप मुझे कैब के लिए 500 रुपये भेज सकते हैं?” इस मैसेज के अंत में, जालसाज ने इसे और भी वास्तविक दिखाने के लिए “sent from iPad” लिखा, ताकि लोगों को यह लगे कि यह मैसेज सचमुच सीजेआई की ओर से भेजा गया है।

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इस मामले में ठगी का तरीका बेहद चालाकी से तैयार किया गया था, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश जैसे उच्च पदाधिकारी का नाम और तस्वीर का गलत इस्तेमाल किया गया। यह न सिर्फ मुख्य न्यायाधीश की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि लोगों की सुरक्षा और सोशल मीडिया के बढ़ते खतरों के प्रति आगाह भी करता है। इस मामले में दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम सेल ने तुरंत कार्रवाई की और एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस अब इस फर्जी प्रोफाइल के पीछे के व्यक्ति की पहचान करने और उसे गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के सुरक्षा विभाग ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और आगे की जांच के लिए साइबर क्राइम सेल को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है।

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यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की ठगी का मामला सामने आया है। इससे पहले भी मार्च 2024 में एक अन्य घटना में, एक 42 वर्षीय व्यक्ति को दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच का इंस्पेक्टर बनकर लोगों से ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उस मामले में, आरोपी ने दिल्ली की अदालतों के माध्यम से नीलाम की गई लग्जरी कारों और महंगे मोबाइल फोन को सस्ते दामों पर बेचने का झांसा देकर दो लोगों से ₹4 लाख ठगे थे। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि लोग सोशल मीडिया पर किसी भी अनजान व्यक्ति से आने वाले संदेशों पर विश्वास न करें, खासकर जब वह पैसे की मांग करता हो। किसी भी संदिग्ध संदेश या प्रोफाइल की जानकारी तुरंत संबंधित अधिकारियों को देनी चाहिए। इसके अलावा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी अपने उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेहतर नीतियों और तकनीकों का उपयोग करना चाहिए।

 

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